बरेली: जिंदगी दांव पर लगी तो बहे आंसू... बोली- मुझे जरा जल्दी खून दे दो

बरेली: जिंदगी दांव पर लगी तो बहे आंसू... बोली- मुझे जरा जल्दी खून दे दो

बरेली, अमृत विचार। सरकारी अस्पतालों में इंसानियत के शर्मसार होने के वाकये रोज ही होते हैं लेकिन बृहस्पतिवार को हद ही पार हो गई। लेबर रूम में भर्ती जिस महिला का कुछ ही देर बाद सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए प्रसव कराया जाना था, उसे महिला अस्पताल के स्टाफ ने खून लेने के लिए खुद ही ब्लड बैंक भेज दिया। लड़खड़ाते कदमों से ब्लड बैंक पहुंची महिला अपनी बेबसी पर बिलख पड़ी। रोते हुए खून मांगा तो ब्लड बैंक के कर्मचारी भी उसकी हालत देखकर सकते में आ गए।

जगतपुर गौटिया में रहने वाले समीर की पत्नी हसीना को प्रसव के लिए बुधवार को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में वह सीवियर एनीमिया से ग्रसित पाई गई, ऊपर से डॉक्टर ने उसे सिजेरियन कराने की सलाह दी। बृहस्पतिवार सुबह उसका ऑपरेशन होना था लेकिन मेहनत-मजदूरी करने वाले परिवार का कोई सदस्य नहीं आ पाया। महिला अस्पताल के स्टाफ ने सुबह से ही उसे बार-बार खून का इंतजाम करने को बोलना शुरू कर दिया। हसीना ने कोई तीमारदार न होने की बात कही तो उसे खुद ही खून ले आने को कह दिया।

हालत गंभीर होने के बावजूद हाथ में कैनुला लगाए हसीना जैसे-तैसे जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंची जहां दर्द सहनशक्ति से बाहर हो जाने की वजह से बिलख पड़ी। उसकी हालत देखकर ब्लड बैंक स्टाफ ने जिला अस्पताल की एडीएसआईसी डॉ. अलका शर्मा को सूचना दी। ब्लड बैंक पहुंचीं डॉ. अलका शर्मा को हसीना ने बताया कि वह महिला अस्पताल के लेबर रूम में भर्ती थी। स्टाफ ने उसे यहां खून लेने भेज दिया है। डॉ. अलका शर्मा फौरन उसे खून दिलाया और फिर अपने स्टाफ के साथ महिला अस्पताल भिजवाया। 

मरीज को ऑपरेशन की सलाह दी गई थी। उसका कोई तीमारदार मौजूद नहीं था, स्टाफ ने तीमारदार के आने पर उसे खून का इंतजाम करने को कहा था लेकिन वह स्टाफ को बगैर बताए वार्ड से निकलकर ब्लड बैंक पहुंच गई। - डॉ. पुष्पलता शमी, सीएमएस जिला महिला अस्पताल

ओपीडी से डॉक्टर भी गायब... इसका भी कोई इलाज नहीं
जिला महिला अस्पताल की ओपीडी में बृहस्पतिवार को फिर डॉक्टर नदारद नजर आए। यहां ओपीडी में रोज 250 से 300 मरीजों के पहुंचने का औसत है लेकिन सिर्फ एक डॉक्टर उन्हें देखते नजर आए। दरअसल कई महीनों से यहां यही सिलसिला चल रहा है। नियमाें के मुताबिक ओपीडी में तीन डॉक्टरों की मौजूदगी रहनी चाहिए जिसमें दो स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ और एक बाल रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। ये डॉक्टर उपलब्ध भी हैं लेकिन फिर भी सिर्फ एक डॉक्टर से सैकड़ों मरीजों की ओपीडी कराई जा रही है।

ये भी पढे़ं- बरेली: बिजली चोरी रोकने के लिए ड्रोन से होगी निगरानी