अगर एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस में नैतिकता है तो उन्हें दे देना चाहिए इस्तीफा : उद्धव ठाकरे
मुंबई। शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस में नैतिकता है तो दोनों नेताओं को उसी प्रकार इस्तीफा दे देना चाहिए, जिस प्रकार उन्होंने पिछले साल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
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राज्य में पिछले साल शिवसेना केंद्रित राजनीतिक संकट पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद ठाकरे ने एक संवाददाता सम्मेलन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले से लोकतंत्र में भरोसा बहाल हुआ है। ठाकरे ने उन्हें शक्ति परीक्षण के लिए बुलाने को लेकर तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की आलोचना की।
उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायाल के फैसले ने सत्ता के लिए की जाने वाली गंदी राजनीति को उजागर कर दिया है। सबसे अहम बात यह है कि राज्यपाल की भूमिका की भी आलोचना की गई है।’’ उच्चतम न्यायालय ने कोश्यारी की आलोचना करते हुए कहा कि राज्यपाल द्वारा पिछले साल 30 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहना सही नहीं था।
महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने और संबंधित राजनीतिक संकट से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में सर्वसम्मति से कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना का सचेतक नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला ‘अवैध’ था।
ठाकरे ने कहा, ‘‘अगर महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री (शिंदे) और उपमुख्यमंत्री (फडणवीस) में कोई नैतिकता है, तो उन्हें उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए और चुनाव का सामना करना चाहिए।’’ हालांकि न्यायालय ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर गलती की थी, ठाकरे ने कहा, ‘‘इस्तीफा देने में, मैं गलत हो सकता हूं, लेकिन अगर आप नैतिकता को देखें, जिन्हें मेरी पार्टी से सब कुछ मिला...मैं उन पर विश्वास या अविश्वास क्यों करूं। उन्हें मुझसे सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है।
जिन लोगों ने मुझे धोखा दिया, वे मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए... यह कैसे होगा?’’ ठाकरे ने कहा, ‘‘उन्होंने (शिंदे गुट के विधायकों ने) मेरी पार्टी और मेरे पिता की विरासत को धोखा दिया। मुख्यमंत्री के रूप में मेरा इस्तीफा कानूनी रूप से गलत हो सकता था, लेकिन मैंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया था... मैं पीठ में छुरा घोंपने वालों के साथ कैसे सरकार चला सकता था।"
उन्होंने कहा कि 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने पर फैसला करते समय विधानसभा अध्यक्ष राहुल नारवेकर को सुनील प्रभु को उनकी शिवसेना का सचेतक मानना ही होगा। ठाकरे ने राजनीतिक संकट के दौरान राज्यपाल की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक सम्मानित पद है, लेकिन जिस तरह से उस पद का दुरुपयोग किया जा रहा है, उससे सवाल उठता है कि क्या ऐसा कोई पद होना चाहिए। ठाकरे ने राज्यपाल के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की।
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