लखनऊ: ग्राम निधि से भरेंगे गोवंशों का पेट
जिले की 88 गोशालाएं आसपास की ग्राम पंचायतों से जुड़ीं
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अमृत विचार, लखनऊ। बजट की कमी से गोवंशों के भरण-पोषण में आ रही समस्या का जल्द समाधान होगा। पिछले वर्ष जारी शासनादेश जिले में लागू हो गया है। जिसके क्रम में ग्रामीण इलाकों की 88 अस्थाई गोशालाएं राज्य वित्त आयोग से पूलिंग की गई हैं। यानी गोशालाओं के आसपास की आठ से दस ग्राम पंचायतों को जोड़ा गया है। नई व्यवस्था के तहत गोवंशों के भरण-पोषण व गोशाला संचालन में जो भी धनराशि कम पड़ेगी यानी अंतर आएगा वह संबंधित पंचायतों की ग्राम निधि से पूर्ति की जाएगी। पहले चरण में चार लाख से अधिक धनराशि गोशालाओं को दी गई है। जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर ने बताया कि यह व्यवस्था एक सप्ताह के अंदर की है। इससे किसी तरह की समस्या नहीं आएगी।
आय का 10 से 15 प्रतिशत करेंगी खर्च
ग्राम पंचायतों की जो वार्षिय आय होगी। उससे 10 से 15 प्रतिशत गोशालाओं को दिया जाएगा। इससे गोशालाओं के संचालन में समस्या नहीं आएगी। जबकि पुरानी व्यवस्था में पशु पालन विभाग को रोजाना प्रति गोवंश के भरण-पोषण के लिए 30 रुपये मिलते हैं। जो पर्याप्त नहीं हैं। यह धनराशि बीडीओ के माध्यम से ग्राम पंचायतों को जाती है। लेकिन, अब इस बजट में जो भी कमी होगी वह ग्राम पंचायत ही पूरी करेंगी।
वर्जन
ग्रामीण गोशालाओं को आसपास की ग्राम पंचायतों से जोड़ा गया है। ग्राम निधि से भरण-पोषण के लिए धनराशि दी गई है। इस प्रक्रिया से गोवंशों के भरण-पोषण में समस्या या भुगतान में देरी नहीं होगी। -डॉ. अरविंद कुमार वर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, लखनऊ।
जिले में गोशाला की स्थिति
ग्रामीण गोशाला : 88
गोवंश : 17300