पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने पंजाब प्रांत में चुनाव स्थगित करने के निर्णय को दिया 'असंवैधानिक' करार
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने पंजाब प्रांत में चुनाव आठ अक्टूबर तक स्थगित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को मंगलवार को 'असंवैधानिक' करार दिया, जो संघीय सरकार के लिए एक झटका है। संघीय सरकार सुरक्षा मुद्दों और आर्थिक संकट का हवाला देते हुए प्रांतीय चुनाव में देरी करने की कोशिश कर रही थी। पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने प्रांत में मतदान के लिए 14 मई की तारीख भी तय की। बाइस मार्च को, पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत में विधानसभा चुनाव पांच महीने से अधिक समय के लिए टाल दिये। उसने यह फैसला यह हवाला देते हुए किया कि नकदी की कमी का सामना कर रहे देश में सुरक्षा मुद्दे हैं।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री एवं तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी अध्यक्ष इमरान खान ने इस कदम की आलोचना की है। इस मुद्दे पर फैसला पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन वाली पीठ ने सुनाया। यह फैसला पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी के लिए एक बढ़ावे के तौर पर आया है।
शीर्ष अदालत की इमारत के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे और मुख्य प्रवेश द्वार पर पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी पहरा दे रही थी। शीर्ष अदालत ने कहा, संविधान और कानून (पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग) को चुनाव की तारीख को स्थगित करने का अधिकार नहीं देते हैं। अदालत ने कहा कि ईसीपी के आदेश ने 13 दिन बर्बाद कर दिये। उसने कहा कि निर्वाचल आयोग ने मतदान की तारीख को 8 अक्टूबर तक स्थगित करके एक असंवैधानिक निर्णय लिया। फैसले में कहा गया है कि निर्वाचन अधिकारी के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की आखिरी तारीख 10 अप्रैल है और निर्वाचन न्यायाधिकरण 17 अप्रैल को अपीलों पर फैसले की घोषणा करेगा।
फैसले में कहा गया, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष और कानून के मुताबिक होने चाहिए। इसमें कहा गया है कि संघीय सरकार को ईसीपी को 10 अप्रैल तक 21 अरब रुपये की धनराशि प्रदान करनी चाहिए और निकाय को 11 अप्रैल तक इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया। फैसले में यह भी कहा गया कि धनराशि नहीं देने की स्थिति में उच्चतम न्यायालय संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी करेगा। शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया, पंजाब सरकार को निर्वाचन आयोग को एक सुरक्षा योजना देनी चाहिए।
इसमें कहा गया है कि पंजाब के अंतरिम कैबिनेट और मुख्य सचिव को 10 अप्रैल तक चुनाव कर्मचारियों पर ईसीपी को रिपोर्ट करना चाहिए। फैसले में कार्यवाहक सरकार को पंजाब में चुनाव के लिए निर्वाचन निकाय को सहायता और संसाधन उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया। ईसीपी ने पहले 30 अप्रैल को पंजाब में चुनाव की तारीख निर्धारित की थी, लेकिन बाद में इसे पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में भी 8 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
खान की पीटीआई ने पंजाब विधानसभा में संविधान के तहत 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने के बजाय 8 अक्टूबर तक चुनाव स्थगित करने के ईसीपी के फैसले को चुनौती दी थी। पंजाब प्रांत में विधानसभा को तत्कालीन पीटीआई सरकार ने 14 जनवरी को भंग कर दिया था। शीर्ष अदालत ने पीटीआई की याचिका पर कार्यवाही 27 मार्च को शुरू की और एक दिन पहले यह कहते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया कि वह अगले दिन, 4 अप्रैल को इसकी घोषणा करेगी।
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