World Tuberculosis Day 2023 : कोरोना वायरस समेत कई बीमारियों का जोखिम बढ़ा देती है टीबी, जानिए बचाव के उपाय
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World Tuberculosis Day 2023 : देश में नए वेरिएंट एच3एन2 वायरस के खौफ के बीच अब कोरोना ने फिर से दस्तक दे दी है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की मानें तो अब भी देश में कोरोना के मामले बढ़ते देखे जा रहे हैं। इसी बीच एक्सपर्ट्स ने ट्यूबरक्लोसिस में कोरोना से खतरा होने की बात की है। वर्ल्ड ट्यूबरकुलोसिस डे (World Tuberculosis Day) पर आपको बता दें कि यह फेफड़ों में होने वाला इंफेक्शन है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करता है।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी रहने पर ट्यूबरक्लोसिस की जांच कराने की सलाह दी जाती है। ट्यूबरक्लोसिस फेफड़ों में होने वाला खतरनाक संक्रमण है। जो धीरे-धीरे पूरे शरीर को चपेट में लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालता है। इसके मुख्य लक्षणों में तेज खांसी, बलगम और खांसते वक़्त खून आना, तेज बुखार रहना, वजन घटते जाना, रात में पसीना आना और कमजोरी और थकावट रहना शामिल है।
ट्यूबरक्लोसिस में व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा कमजोर हो जाती है। जिसके कारण उसे कोई भी संक्रमण जल्द होने का खतरा हो सकता है। वही कोरोना भी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर ही वार करता है। ऐसे में व्यक्ति की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। एनसीबीआई के अध्ययन में भी यह बात सामने आई है कि ट्यूबरक्लोसिस COVID-19 रोग के 2.10 गुना जोखिम को बढ़ाने का कारण बन सकता है। ट्यूबरक्लोसिस वाले लोगों को COVID-19 होने की अधिक संभावना नहीं है, लेकिन ट्यूबरक्लोसिस से पहले ग्रस्त रहे लोगों में COVID-19 की गंभीर समस्याएं होने की ज्यादा संभावनाएं हो सकती हैं।
बता दें कि हर साल 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे मनाया जाता है। टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। इसे क्षयरोग भी कहा जाता है। भारत में हर साल टीबी के लाखों मरीज सामने आते हैं। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन लाइलाज नहीं है। समय रहते इस बीमारी का इलाज करवा लिया जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। हर साल टीबी की बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए 24 मार्च को विश्व क्षय दिवस (World Tuberculosis Day 2023) मनाया जाता है। इसे विश्व तपेदिक दिवस भी कहा जाता है।
कैसे हुई विश्व क्षय दिवस मनाने की शुरुआत?
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) बैक्टीरिया की खोज की थी। डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बहुत मददगार साबित हुई। उनकी इस खोज की वजह से डॉ. रॉबर्ट कोच को साल 1905 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। यही वजह है कि इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए 24 मार्च की तारीख को चुना गया और 24 मार्च को विश्व तपेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई।
क्या है इस साल की थीम ?
विश्व तपेदिक दिवस को लेकर हर साल एक थीम निर्धारित की जाती है। साल 2023 की थीम है- यस! वी कैन एंड टीबी! (Yes! We can end TB!) इसका मतलब है कि हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं। इस थीम के जरिए लोगों को टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए मोटिवेट करने का प्रयास किया गया है।
2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का संकल्प
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक किलर डिजीज में से एक है। डब्ल्यूएचओ की तरफ से साल 2030 तक दुनिया को पूरी तरह से टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं भारत की ओर से 2025 तक देशवासियों की टीबी की बीमारी से पूरी तरह से निजात दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हर साल विश्व क्षय रोग दिवस के मौके पर डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार की ओर से लोगों को बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
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