सीए हत्याकांड: एसओजी पहुंची जेल, मुलाकातियों का ब्योरा खंगाला

पंद्रह दिन बाद भी पुलिस को नहीं मिला हत्याकांड का सुराग

सीए हत्याकांड: एसओजी पहुंची जेल, मुलाकातियों का ब्योरा खंगाला

मुरादाबाद, अमृत विचार। सीए श्वेताभ तिवारी हत्याकांड में सुरागकशी में बुधवार को एसओजी टीम जेल पहुंची। कारागार के अभिलेखों की पड़ताल की गयी। एसओजी ने कुख्यात कैदियों से मिलने वालों की सूची पर नजर दौड़ाई। जानने की कोशिश की कि सीए की हत्या की साजिश जेल में बैठ कर तो नहीं रची गई। पूर्व में ऐसी कई घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं, जिनका तानाबाना जेल में बैठकर बुना गया था। जेल में सक्रिय मुखबिरों की मदद से पुलिस सीए हत्याकांड का राजफाश करने की कोशिश में जुटी है।

वैसे तो सीए श्वेताभ के हत्यारों को बेनकाब करने का अभियान एक पखवारा बीतने के बाद भी अंजाम तक नहीं पहुंचा। हत्यारे अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। खाकी की विवशता व लाचारी का आलम यह है कि उसका शिथिल मुखबिर तंत्र मौन है। ऐसे में एक बार फिर महानगर के जेहन में वह खौफनाक घटनाएं नासूर बनकर ताजा हो गई हैं, जिनके मुलजिम अब तक नहीं मिले। कुछ ऐसी ही राह सीए हत्याकांड ने भी अख्तियार कर ली है। 15 फरवरी की रात करीब सवा नौ बजे दो शूटरों ने दिल्ली रोड पर सीए श्वेताभ तिवारी को गोली मारकर मौत के घाट उतारा। 

वारदात बाद वह घटना स्थल से सुरक्षित भाग निकले। बीच शहर में सीए की हत्या व शूटरों के बच निकलने की घटना प्रदेश की सुर्खी बन गई। राजनीति क गलियारे तक में सीए हत्याकांड की गूंज सुनी गई। भारी दबाव के बीच डीआईजी व एसएसपी द्वारा गठित पुलिस टीमों ने शूटरों की तलाश शुरू की। छानबीन में पता चला कि सीए श्वेताभ का कारोबार सिर्फ नामी गिरामी कंपनियों के आर्थिक सम्राज्य तक नहीं सिमटा था, वह अघोषित रूप से प्रापर्टी के बड़े व्यापार में भी शामिल थे। सैकड़ों करोड़ की संपत्ति की खरीद फरोख्त में सीए की भूमिका पाई गई।

सवाल उठा कि सीए की हत्या क्यों और किसने की? जवाब की तलाश में अनसुनी कहानियां प्रकाश में आईं। सीए की हत्या को किसी ने सामाजिक व व्यक्तिगत संबंधों से जोड़कर देखा, तो किसी ने बड़े प्रापर्टी विवाद में हत्या होने की आशंका जताई। सभी के तर्क थोथे साबित हुए। तफ्तीश में ऐसा कोई ठोस सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा, जिसके आधार पर हत्या की असल वजह का पता चल सके। सीए का स्मार्ट फोन खोलने में पुलिस अब तक विफल है। ऐसे में मोबाइल फोन से हत्या का सुराग मिलने की संभावना क्षीण हो चली है। 

पुलिसिया विफलता की पोल खोल रहे आंकड़े
ब्लाइंड मर्डर पुलिस के लिए चुनौती बनता जा रहा है। बड़ी घटनाओं का राजफाश करने में पुलिस की विफलता कानून के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। 2022 में मंडल में शुरुआती छह माह के भीतर हत्या की 99 घटनाएं दर्ज की गईं। 65 अज्ञात शव भी पुलिस ने बरामद किया। हत्या के बाद शव ठिकाने लगाने में मुरादाबाद पहले पायदान पर रहा। जनवरी से सितंबर माह तक 42 अज्ञात शव सिर्फ मुरादाबाद में मिले। बिजनौर में 15 अज्ञात शव पुलिस ने बरामद किया। इनमें से अधिकांश घटनाओं का पर्दाफाश अब तक नहीं हो सका है। पुलिस न तो शव की शिनाख्त करा पाई और न ही कातिल का पता लगा पाई।

ये भी पढ़ें- मुरादाबाद: आजम खां की स्टे अपील पर अब 13 मार्च को होगी सुनवाई