सरिन्जा वाद्य यंत्र बजाने से मुझे कभी वित्तीय सुरक्षा नहीं मिली : पद्म श्री मंगला कांति रॉय
जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल)। लोक कलाकार मंगला कांति रॉय पद्मश्री सम्मान के लिए चुने जाने से खुश हैं लेकिन उन्हें अफसोस है कि वाद्य यंत्र सरिन्जा बजाने से उन्हें कभी भी कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं मिली। जलपाईगुड़ी के सुदूर धवलागुरी गांव के रहने वाले रॉय ने बताया कि जब वह सिर्फ पांच साल के थे तब उन्होंने वाद्य यंत्र बजाना शुरू किया था।
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कम उम्र में ही पक्षियों और विभिन्न जानवरों की आवाज निकालने की कला में महारत हासिल करने के बाद वह दर्शकों की खुशी के लिए अपने वाद्य यंत्र से भी वैसी आवाज निकालने लगे। अपने गांव में बेहद साधारण जीवन जी रहे 101 वर्षीय लोक कलाकार ने कहा, "मैं यह सम्मान पाकर खुश हूं, लेकिन कला के प्रति मेरी प्रतिबद्धता के बावजूद आर्थिक सुरक्षा हमेशा मुझसे दूर रही।’’
उन्होंने अफसोस जताया कि कोविड महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में सांस्कृतिक कार्यक्रम काफी कम हो गए जिससे उनकी स्थिति में भी गिरावट आई। उनके तीन पुत्र और एक पुत्री हैं लेकिन वह अकेले रहते हैं। रॉय ने कहा, "मैं अब बिना और कष्ट के दुनिया से जाना चाहता हूं।" ममता बनर्जी सरकार ने रॉय को 2017 में 'बंग रत्न' सम्मान से सम्मानित किया था।
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