बरेली: अंधकार में नौनिहाल, कैसे बचेगा देश का भविष्य?
बरेली, अमृत विचार। जनपद में बच्चे पढ़ने की उम्र में पढ़ने के बजाय कचरे बीन रहे हैं। सरकार बच्चों के भविष्य के लिए चिंतित होने का दावा करती है लेकिन सैकड़ों नौनिहाल कचरे के ढेर में ही अपना भविष्य तलाश रहे हैं। सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया ताकि गरीबों के बच्चों को भी बेहतर तालीम मिल सके। आईए आपको अदभुत नजारा दिखाते हैं जनपद बरेली में नौनिहालों का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है।
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बरेली में कहीं बच्चे रोड पर भीख मांग रहे हैं तो कही गाड़ियों का सीसा साफ करके भीख मांग रहे हैं। बरेली में ऐसे बच्चे हर चौराहे पर मिल जाएंगे क्यूंकि इन बच्चों की चिंता ना मां-बाप को है और ना ही सरकार इसपे ध्यान दे रही है। कुछ परिवार ऐसे हैं जो कि गरीब तपके के उनका और कोई काम नही है।
साथ ही कुछ जानबूझ कर अपने बच्चों से भीख मांगने का कारोबार करा रहे है। देखिए ये नौनिहाल किस तरह से स्कूल की ड्रेस में फैक्ट्री के कचरे में से ठंड दूर करने के लिए या फिर यूं कहिए ठंड में तापने के पन्नियों से भरे बोरी लेकर जा रहे हैं। इस दौरान जब बच्चों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें घर वालो ने भेजा है कि ठंड में तापने के लिए ये कचरा बीन कर लाओ। जिससे गरीबी में ठंड दूर हो सके।
क्या यहीं है देश का भविष्य?
बड़ा सवाल उठता है कि क्या देश का भविष्य इन्ही बच्चों के कंधों पर है। सारी जिम्मेदारी इन्ही नौनिहालों की है? क्या देश को क्लीन इंडिया और ग्रीन इंडिया बनाने का जिम्मा इन्ही नन्हे बच्चों को सौंप दिया गया है? इस बारे में बाल विकास अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि ऐसे बच्चों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। उनकी टीम जांच कर कार्यवाही करेगी।
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