कुलाधिपति पद से राज्यपाल को हटाने के खिलाफ नहीं, पर 14 कुलाधिपतियों की जरूरत नहीं: यूडीएफ
तिरुवनंतपुरम। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने मंगलवार को कहा कि वह राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर राज्यपाल को हटाने का विरोध नहीं करता, लेकिन 14 विश्वविद्यालयों में अलग-अलग कुलाधिपतियों की आवश्यकता नहीं है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि यूडीएफ विचार-विमर्श के बाद इस फैसले पर पहुंचा है कि केवल एक कुलाधिपति होना चहिए और इसका चयन उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और केरल उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में से किया जा सकता है। सतीशन ने कहा कि कुलाधिपति का चयन एक पैनल द्वारा किया जा सकता है जिसमें मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शामिल हों।
उन्होंने कहा, ‘‘यह इस बात को लेकर हमारा वैकल्पिक प्रस्ताव है कि कुलाधिपति किसे बनाया जाए और इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाए।’’ विपक्ष के नेता ने कहा कि 14 कुलाधिपति रखने का वित्तीय असर ‘‘सफेद हाथी पालने’’ जैसा हो जाएगा। विधायक पी के कुन्हालीकुट्टी ने उनका समर्थन किया। उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्यपाल को कुलाधिपति के पद से हटाया जाना चाहिए।’’
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के नेता कुन्हालीकुट्टी ने कहा, ‘‘हम राज्यपाल के हालिया आचरण या कार्यों का बिल्कुल समर्थन नहीं करते।’’ विपक्ष ने सदन में विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान यह सुझाव पेश किया था। इस विधेयक का उद्देश्य राज्यपाल को राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाना और शीर्ष पद पर प्रतिष्ठित शिक्षाविदों की नियुक्ति करना है।
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