लखनऊ: रोजाना 65 लाख रुपये का स्ट्रीट फूड खाते हैं राजधानीवासी, शहर में 15000 से अधिक लगते हैं फूड स्टॉल

लखनऊ: रोजाना 65 लाख रुपये का स्ट्रीट फूड खाते हैं राजधानीवासी, शहर में 15000 से अधिक लगते हैं फूड स्टॉल

लखनऊ। राजधानी में स्ट्रीट फूड का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। विभिन्न इलाकों में तकरीबन 15 हजार से अधिक फूड स्टॉल शाम होते ही जगमगा उठते हैं। इन स्टॉलों पर अब युवा वर्ग ही नहीं बल्कि लोग अपने परिवारों के साथ भी पहुंच रहे हैं। स्ट्रीट फूड कारोबारियों के अनुसार एक स्टॉल पर तकरीबन …

लखनऊ। राजधानी में स्ट्रीट फूड का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। विभिन्न इलाकों में तकरीबन 15 हजार से अधिक फूड स्टॉल शाम होते ही जगमगा उठते हैं। इन स्टॉलों पर अब युवा वर्ग ही नहीं बल्कि लोग अपने परिवारों के साथ भी पहुंच रहे हैं। स्ट्रीट फूड कारोबारियों के अनुसार एक स्टॉल पर तकरीबन दो से तीन लोग तैनात है। ऐसे में 30 हजार से अधिक लोग इस कारोबार में जुटे हैं। रोजाना 65 लाख रुपये से अधिक का कारोबार स्ट्रीड फूड का पहुंच रहा है।

लखनऊ स्ट्रीट फूड एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित वर्मा ने बताया कि मैने छह साल पहले इसकी शुरुआत की थी। इसके लिए लिए नगर निगम और फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से पंजीकरण भी कराया है। कपूरथला में ही उस समय 20 दुकानें थी। आज 100 से अधिक दुकानें इस क्षेत्र में मौजूद हैं। एक अन्य कारोबारी अभिषेक शुक्ला ने बताया कि राजधानी के अधिकांश बाजारों में स्ट्रीट फूड की दुकानें खुल गई हैं। इन दुकानों पर चाइनीज व्यंजनों के साथ देशी व्यंजनों की मांग भी रहती है। ठंड के दिनों में स्ट्रीट फूड की डिमांड बढ़ जाती है।

अकेले चारबाग में दो हजार से ज्यादा स्टॉल
चारबाग में दो हजार से अधिक स्ट्रीट फूड के स्टॉल मौजूद हैं। इसी तरह से आलमबाग, गोमती नगर, 1090 चौराहा, इंदिरा नगर, मुंशीपुलिया, रकाबगंज, नक्खास, चौक, राजाजीपुरम, ऐशबाग, सदर, जियामऊ समेत विभिन्न इलाकों में स्ट्रीट फूड की दुकानें हैं। फिंगर चिप्स, अंडा पराठा, कबाब रोल, स्प्रिंग रोल, पाश्ता, चाऊमीन, मेगी, मोमोज जैसे आइटम तेजी से प्रसिद्ध हो रहे हैं। अब छोटे आकार वाले पिज्जा भी इन जगहों पर मिल जा रहे हैं।

डीएम ऑफिस बनता है लाइसेंस
लखनऊ स्ट्रीट फूड एसोसिएशन के सचिव विनय यादव ने बताया कि इस कारोबार में शामिल होने वालों का हम लोग लाइसेंस बनवाते हैं। जिला अधिकारी कार्यालय से लाइसेंस लेने के साथ ही नगर निगम में पंजीकरण कराना होता है। रोजाना पांच से छह लोग इसके लिए हमसे सम्पर्क करते हैं।

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