अयोग्य थे ठेकेदार! मोरबी के आरोपियों पर वकीलों का गुस्सा, बार एसोसिएशन से केस नहीं लड़ने का प्रस्ताव पास

अयोग्य थे ठेकेदार! मोरबी के आरोपियों पर वकीलों का गुस्सा, बार एसोसिएशन से केस नहीं लड़ने का प्रस्ताव पास

अहमदाबाद। अभियोजन पक्ष ने गुजरात की एक अदालत को बताया है कि जिन ठेकेदारों ने मोरबी के ढह चुके पुल की मरम्मत का काम किया वे इस तरह का काम करने के लिए योग्य नहीं थे। बकौल अभियोजन पक्ष, पुल का फ्लोर बदल दिया गया था लेकिन केबल को नहीं बदला गया। हादसे में कम-से-कम …

अहमदाबाद। अभियोजन पक्ष ने गुजरात की एक अदालत को बताया है कि जिन ठेकेदारों ने मोरबी के ढह चुके पुल की मरम्मत का काम किया वे इस तरह का काम करने के लिए योग्य नहीं थे। बकौल अभियोजन पक्ष, पुल का फ्लोर बदल दिया गया था लेकिन केबल को नहीं बदला गया। हादसे में कम-से-कम 135 लोगों की मौत हुई थी।

वहीं, एसी प्रजापति (वरिष्ठ वकील,मोरबी बार एसो.) ने कहा कि मोरबी ब्रिज गिरने की घटना में (ओरेवा कंपनी के) 9 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। मोरबी बार एसोसिएशन व राजकोट बार एसोसिएशन ने उनका मामला नहीं लेने व उनका प्रतिनिधित्व नहीं करने का फैसला किया है। दोनों बार एसोसिएशन ने यह प्रस्ताव पारित किया है।

मोरबी का सस्पेंशन ब्रिज हादसा उसकी नई फ्लोरिंग की वजह से हुआ था। रिनोवेशन के नाम पर ब्रिज में लगे लकड़ी के बेस को बदलकर एल्युमिनियम की चार लेयर वाली चादरें लगा दी गई थीं। इससे पुल का वजन बेहद बढ़ गया था। पुरानी केबल्स भीड़ बढ़ने पर इस लोड को संभाल नहीं सकीं और ब्रिज टूट गया। गुजरात पुलिस ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी है।

मोरबी में 30 अक्टूबर की शाम को सस्पेंशन ब्रिज टूटने के मामले में पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन्हें मंगलवार को मोरबी के मजिस्ट्रियल कोर्ट में पेश किया गया। सभी आरोपियों की रिमांड मांगने के लिए पुलिस ने अदालत में जो हलफनामा पेश किया, उसमें ब्रिज के वजन को ही उसके गिरने की वजह बताया गया है। इस घटना में अब तक 135 मौतों की पुष्टि हो चुकी है।

गुजरात पुलिस ने मंगलवार को मजिस्ट्रियल कोर्ट में पुल हादसे की फोरेंसिक रिपोर्ट दाखिल की। यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई है। सरकारी वकील पंचाल ने सुनवाई के बाद बताया कि पुलिस की तरफ से पेश रिमांड अर्जी में साफ लिखा है कि मरम्मत के दौरान ब्रिज के स्ट्रक्चर की मजबूती पर काम नहीं किया गया। केवल पुल की फ्लोरिंग से लकड़ी को हटाकर एल्युमिनियम की चादरें लगा दी गई थीं।

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सरकारी वकील पंचाल ने बताया कि फोरेंसिक साइंस लैब की जांच में पता चला है कि जिन चार केबलों पर ब्रिज टिका था, छह महीने की मरम्मत के दौरान उन्हें नहीं बदला गया था। फोरेसिंक एक्सपर्ट के मुताबिक बेहद पुरानी हो चुकी केबलें नई फ्लोरिंग समेत लोगों का भार नहीं सह सकीं और ज्यादा वजन से केबलें टूट गईं।

पुलिस ने अदालत को यह भी बताया कि जिन ठेकेदारों को पुल रिपेयर का काम दिया गया था, वे इसे करने के लिए योग्य नहीं थे। वे सस्पेंशन ब्रिज की तकनीक और स्ट्रक्चर की मजबूती के बारे में जरूरी जानकारी नहीं रखते थे। लिहाजा उन्होंने पुल की ऊपरी सजावट पर ही फोकस किया। इसीलिए पुल देखने में तो चुस्त-दुरुस्त नजर आ रहा था, लेकिन अंदर से वह कमजोर हो चुका था।

पुलिस की अर्जी पर मोरबी के मजिस्ट्रियल कोर्ट ने मंगलवार को ओरेवा के मैनेजर दीपक पारेख और दिनेश दवे, ठेकेदार प्रकाश परमार और देवांग परमार को शनिवार तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया। वहीं, टिकट बुकिंग क्लर्क और सिक्योरिटी गार्ड समेत पांच आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

मोरबी पुल हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए गुजरात में बुधवार को राज्यव्यापी शोक रखा गया है। एक अधिकारी ने बताया कि बुधवार को झंडे आधे झुके है। सरकार ने अधिकारियों को कोई आधिकारिक या मनोरंजन कार्यक्रम नहीं आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई एक बैठक में राज्यव्यापी शोक रखने का निर्णय किया गया था। बैठक रविवार शाम पुल गिरने की घटना के बाद की स्थिति की समीक्षा के लिए की गई थी।

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