हल्द्वानी: इस बार दिवाली पर बन रहा विष्कुंभ योग

हल्द्वानी, अमृत विचार। हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष दीपावली पर कुछ दुर्लभ संयोग बन रहे है। दिवाली पर्व पर विष्कुंभ योग बन रहा है जो कि अशुभ योगों में गिना जाता है। अतः लक्ष्मी पूजन के उपरांत 108 बार ॐ नमः शिवाय का जप अवश्य …
हल्द्वानी, अमृत विचार। हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष दीपावली पर कुछ दुर्लभ संयोग बन रहे है। दिवाली पर्व पर विष्कुंभ योग बन रहा है जो कि अशुभ योगों में गिना जाता है। अतः लक्ष्मी पूजन के उपरांत 108 बार ॐ नमः शिवाय का जप अवश्य करें। इसके अतिरिक्त चंद्रमा एवं बुध की युति कन्या राशि में हो रही है जिससे कि व्यापारी वर्ग को विशेष लाभ प्राप्त होगा। देव गुरु बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में विराजमान रहेंगे,शनि अपनी स्वराशि मकर मार्गी हो गए है जो कि सभी राशियों के लिए अति शुभ संकेत है।
धार्मिक मान्यतानुसार दीपावली पर्व मनाने का मुख्य कारण यह है कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम चौदह वर्ष के वनवास को पूर्ण कर पुनः अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे।अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा श्री राम के स्वागत हेतु अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक माह की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तभी से प्रतिवर्ष (त्रेता युग) हिंदू धर्म में दीपावली पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को सायं 5:29 से 25 अक्टूबर दोपहर 4:20 तक। श्री महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त 24 अक्टूबर प्रदोष काल एवं वृषभ काल में सायं 5:30 से प्रारंभ होकर 8:45 मिनट तक, महानिशा काल पूजा मुहूर्त रहेगा 9:32 मिनट से रात्रि 12:30 तक सिंह काल पूजा मुहूर्त रात्रि 1:20 से 3:39 मिनट तक। कार्तिक अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को सायंकाल 5:29 से प्रारंभ होगी और 5:30 से प्रदोष काल प्रारंभ होगा अतः गृहस्थियों का पूजा समय 5:30 बजे से रात्रि 8: 45 तक रहेगा।
दीप संख्या व स्थान
दीपावली पर्व पर 13 दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त एक दीपक गाय के घी का जिसकी चार बत्तियां हो मंदिर में पूर्ण रात्रि (अखण्ड ज्योति) जलना शुभ माना जाता है। प्रथम दीपक मंदिर में दूसरा दीपक रसोईघर में वह तीसरा दीपक तुलसी पर प्रज्वलित करें। तदोपरांत बचे हुए दीपक संपूर्ण घर में प्रज्वलित करें। एक दीपक पितरों को समर्पित करें, दो मुख्य द्वार पर ,एक दीपक नल के समीप रखें ,बेल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से महादेव प्रसन्न होते हैं।
पूजा विधि
दीपावली पर्व पर श्री गणेश व देवी लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है। दीपावली पर्व पर सफाई का विशेष ध्यान रखें। नित्य कर्म से निवृत्त होकर पूरे घर को पूजा स्थल को स्वच्छ करें। दीप प्रज्ज्वलित करें। चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की स्थापना करें।
ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:। मंत्र का जाप करते हुए तीन बार गंगा जल से छिड़क कर पूजा स्थल को शुद्ध करें। पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश और कलश की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें। देवी लक्ष्मी को आमंत्रित करें। दोनों को वस्त्र , रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, पंचामृत, पंच मेवा, पंच मिठाई , कमल पुष्प, खीले, बतासे अर्पित करें। घी की अखण्ड ज्योति प्रातः काल से ही प्रज्वलित करें।