Kanpur: नौकरी डॉट कॉम पर ढूंढ रही थीं नौकरी, लेकिन खुद बन गईं ठग, सवा लाख लोगों को बनाया ठगी का शिकार
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कानपुर, अमृत विचार। विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर पिछले नौ वर्षों में सवा लाख लोगों से साइबर ठगी की घटना में शातिरों ने क्राइम ब्रांच को और कई अहम जानकारियां दी हैं। गिरफ्तार की गईं युवतियों ने बताया कि वह लोग खुद नौकरी डॉट कॉम पर नौकरी की तलाश कर रही थीं। लेकिन समय के साथ खुद साइबर ठग बन बैठी। गिरोह के लिए लोगों को फंसाने वाली 13 युवतियां इस शहर में काम कर रही हैं। सभी के मोबाइल नंबर बंद हैं। सभी मोबाइल नंबर फर्जी आईडी से लिए गए थे जिन्हें गिरोह के लीडर हरिओम पांडेय ने मुहैया कराया था।
विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के मास्टरमाइंड हरिओम पांडेय, अनुराग दीक्षित, अरीबा अंसारी और कीर्ति गुप्ता उर्फ स्नेहा को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था। डीसीपी क्राइम एसएम कासिम आब्दी के अनुसार चमनगंज के भन्नानापुरवा निवासी अरीबा और किदवईनगर निवासी कीर्ति डेढ़ वर्ष पहले नौकरी डॉट कॉम पर हरिओम पांडेय के संपर्क में आई थीं। हरिओम ने तीस हजार रुपये प्रति माह के वेतन पर रखा था। दो माह बाद दोनों को पता चल गया था किसी को विदेश में नौकरी नहीं मिल रही, बल्कि फर्जी दस्तावेजों और खुद ही विदेश की कंपनी बनकर लोगों को नौकरी का झांसा देकर उनसे ठगी कर रहे हैं। इसके बाद भी दोनों युवतियां हरिओम के साथ जुड़ी रही और काम करती रहीं।
फर्जी केवाईसी उपलब्ध कराता था पार्टनर
डीसीपी के अनुसार हरिओम पांडेय का एक पार्टनर भी है, जो फर्जी केवाईसी गिरोह को उपलब्ध कराता था। उसके जरिए सिम कार्ड लिए जाते थे। कार्ड को फर्जी खाते में लिंक कर रकम को मंगवाया जाता था। हरिओम टेलीग्राम के जरिए बैंक खातों का इंतजाम कर लेता था।
बदायूं के नंबर से आया था कॉल
ठगी के शिकार हुए पीड़ित विकास से जिस नंबर से शातिर संपर्क में थे वो बदायूं के एक युवक के नाम पर निकला। पुलिस ने जब उससे संपर्क किया तो पता चला कि उसने थाने में मोबाइल गुम होने तहरीर दी थी। तीन से चार कंपनियों में इसी तरह से फर्जी नंबर पंजीकृत थे और उन्हीं में पैसे मंगाए जाते थे।