भारत व ऑस्ट्रेलिया एक-दूसरे के देश में और वाणिज्य दूतावास खोलेंगे

कैनबरा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को यहां अपनी ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के साथ बैठक की और दोनों देश संबंधों को विस्तार देने पर सहमत हुए। भारत व ऑस्ट्रेलिया एक-दूसरे के देश में और अधिक वाणिज्य दूतावास खोलने पर भी सहमत हुए। ऑस्ट्रेलिया बेंगलुरु में अपना महावाणिज्य दूतावास खोलेगा। जयशंकर और वोंग ने …

कैनबरा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को यहां अपनी ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के साथ बैठक की और दोनों देश संबंधों को विस्तार देने पर सहमत हुए। भारत व ऑस्ट्रेलिया एक-दूसरे के देश में और अधिक वाणिज्य दूतावास खोलने पर भी सहमत हुए। ऑस्ट्रेलिया बेंगलुरु में अपना महावाणिज्य दूतावास खोलेगा। जयशंकर और वोंग ने सोमवार को यहां 13वीं ‘‘विदेश मंत्रियों की रूपरेखा वार्ता’’ के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

वोंग ने कहा, ‘‘हम इस बात से सहमत हैं कि हमें अपने संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना है। और मुझे आपके साथ यह रेखांकित करने में खुशी हो रही है कि डॉ. जयशंकर और मैं इस बात पर सहमत हैं कि हम एक दूसरे के देशों में अपने राजनयिक केंद्रों सहित अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहेंगे।” उन्होंने कहा, ‘‘हम भारतीय प्रौद्योगिकी उद्योग के केंद्र बेंगलुरु में अगले साल ऑस्ट्रेलिया के लिए एक महावाणिज्य दूतावास खोलने की उम्मीद कर रहे हैं, और हमें उम्मीद है कि डॉ जयशंकर यहां ऑस्ट्रेलिया में एक अतिरिक्त उपस्थिति (महावाणिज्य दूतावास) को अंतिम रूप देने में सक्षम होंगे।”

भारत में अभी तीन ऑस्ट्रेलियाई महावाणिज्य दूतावास हैं जो मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया में भारत के चार महावाणिज्य दूतावास हैं। ये महावाणिज्य दूतावास सिडनी, मेलबर्न, पर्थ और ब्रिस्बेन में हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत यह देख कर “बहुत उत्साहित” है कि इस साल की शुरुआत में जिस आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया था, वह अभिपुष्टि और लागू किए जाने की ओर बढ़ रहा है एवं यह एक बहुत अच्छा घटनाक्रम है। जयशंकर ने कहा, “हम यह भी गौर करते हैं कि दोहरे कराधान से बचाव समझौते में संशोधन के लिए कदम उठाए जा रहे हैं क्योंकि यह हमारे व्यापार को बढ़ाने के लिए एक चुनौती भी थी। इसके साथ ही हमने खनिजों, साइबर, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को भी देखा है।

दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन संघर्ष और उसके नतीजे, हिंद्र-प्रशांत, ‘क्वाड’ में प्रगति, जी20 मुद्दों, त्रिपक्षीय मुद्दों, संयुक्त राष्ट्र, ‘आईएईए’ से संबंधित मुद्दों, जलवायु वित्तपोषण और सतत विकास लक्ष्यों जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श किया।

जयशंकर ने हिंद महासागर में विभिन्न देशों की नौसेनाओं की उपस्थिति से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, “मुझे लगता है कि ऐसी नौसैनिक उपस्थिति की सराहना करना अहम है जो सुरक्षा को मजबूत करती हो और क्षेत्र में समृद्धि और प्रगति में योगदान करती है…।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं अपनी नौसेना को देखता हूं, हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा, हमने कुछ वर्षों में सबसे पहले कदम उठाने वाले के रूप में प्रतिष्ठा हासिल की है। जब विभिन्न देश किसी प्रकार की कठिनाई में होते हैं, जब कोविड की समस्या सामने आती है, जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तब हम उपलब्ध होते हैं।

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