अयोध्या : नवाबों की नगरी में सामुदायिक भवनों का टोटा

अमृत विचार, अयोध्या। पहले मंदिर-मस्जिद विवाद और अब सुप्रीम फैसले के बाद जन्म स्थान पर भव्य राम मंदिर का निर्माण। कई दशकों से राम नगरी अयोध्या देश प्रदेश ही नहीं वैश्विक पटल पर चर्चा में रही है। शासन-प्रशासन सरकार समेत अन्य की ओर से समय-समय पर बड़े आयोजन हो रहे हैं, लेकिन हाल यह है …

अमृत विचार, अयोध्या। पहले मंदिर-मस्जिद विवाद और अब सुप्रीम फैसले के बाद जन्म स्थान पर भव्य राम मंदिर का निर्माण। कई दशकों से राम नगरी अयोध्या देश प्रदेश ही नहीं वैश्विक पटल पर चर्चा में रही है। शासन-प्रशासन सरकार समेत अन्य की ओर से समय-समय पर बड़े आयोजन हो रहे हैं, लेकिन हाल यह है कि सरकार और प्रशासन को भी बड़े आयोजनों के लिये ठौर तलाशनी पड़ती है। ऐसा इसलिए है कि नगर निगम से लेकर विकास प्राधिकरण, आवास विकास व जिला प्रशासन के पास 100-200 की क्षमता से ज्यादा का कोई सामुदायिक भवन नहीं है। एक था भी तो बीते एक दशक से बदहाली के चलते निसप्रयोज्य हो गया है।

ऐसा नहीं है कि तमाम नियम कायदों और मानकों को पूरा करने के लिए कार्यदायी संस्थाओं और नगर पालिका परिषद की ओर से सामुदायिक भवनों का निर्माण नहीं कराया गया। 80 के दशक में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से शहर के रिकाबगंज में नरेंद्रालय प्रेक्षागृह का निर्माण कराया गया था। मार्च 1983 में लाखों की लागत से बने इस प्रेक्षागृह का लोकार्पण और प्रख्यात समाजवादी चिंतक आचार्य नरेंद्र देव की आदमकद प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने किया था।

विकास प्राधिकरण और आवास विकास की ओर से भी टाउन प्लानिंग योजना के तहत कई जगह सामूहिक और सार्वजनिक आयोजनों के लिए सामुदायिक भवन बनवाए गये, यद्यपि इनकी क्षमता काफी कम की थी। वर्तमान में कौसलेश कुंज अयोध्या और अवधपुरी अमानीगंज के सामुदायिक भवन को तोड़कर शॉपिंग कांप्लेक्स और पार्किंग का निर्माण कराया जा रहा है। बनने के बाद से ही ज्यादा समय इन दोनों पर सुरक्षाकर्मियों का डेरा रहा। दोनों संस्थाओं के सहारे स्थित अन्य योजनाओं में भी सामुदायिक भवन का निर्माण कराया गया है जिनकी क्षमता बहुत कम और अमूमन सभी बदहाली के शिकार हैं।

ऐसा भी नहीं है कि सरकार की ओर से सार्वजनिक आयोजनों के लिए स्थान की व्यवस्था नहीं की गई। राम कथा पार्क के बाद भजन संध्या स्थल प्रयोग में है, बाईपास पर सांस्कृतिक मंच का निर्माण जारी है। राम कथा पार्क शादी विवाह के लिए बुक किया जाता है, लेकिन अपेक्षित सुविधा ना होने के चलते बुकिंग साल में दो चार ही हो पाती है। आयोजक भी यहां धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम कराने से कतराते हैं।

साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र था नरेंद्रालय

कभी नवाबों की राजधानी रही और उन्हीं की ओर से बसाई गई इस नगरी के कला, संस्कृति, साहित्य और संगीत की अपनी अलग पहचान ही नहीं राष्ट्रीय फलक पर एक मुकाम भी रहा है। लगभग 3 दशक से ज्यादा समय तक यह नरेंद्रालय प्रेक्षागृह साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक समेत अन्य गतिविधियों का केंद्र बना रहा। नामचीन संस्थाओं और संगठनों की ओर से समय-समय पर बड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है।

प्रेक्षागृह नीचे हाल और बालकनी को मिलाकर कुल 500-600 लोगों के बैठने की सुविधा थी। आधुनिक सुविधाओं युक्त बड़ा स्टेज था। शहरवासियों के शादी विवाह और अन्य धार्मिक-समाजिक कार्यक्रम इस प्रेक्षागृह से निपट जाया करते थे और वह भी बहुत ही कम खर्च में। इसके रखरखाव का जिम्मा नगर पालिका को था। हालांकि इधर सत्ता-सरकार, शासन-प्रशासन तथा नगर निगम की नजरें इनायत न होने के चलते यह बदहाली का शिकार हो गया है।

न निगम के पास बचा, न है प्रशासन के पास

संगठनों और संस्थाओं को ही नहीं बड़ी बैठकों और सरकारी कार्यक्रमों के आयोजनों को लेकर प्रशासन को भी दूसरी जगह ठौर तलाशनी पड़ती है। क्योंकि 500 तथा उससे ज्यादा की सीटिंग कैपेसिटी के हाल और प्रेक्षागृह केवल डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय तथा साकेत महाविद्यालय प्रशासन के पास उपलब्ध है।

मंडलायुक्त जिलाधिकारी समेत विभागों के पास अपने-अपने सभागार है लेकिन इनकी सिटिंग क्षमता सौ-दो सौ तक ही है। इसी के चलते चुनाव में प्रशिक्षण, बड़े सम्मेलन साकेत के हाल में कराए जाते हैं और सीएम,डिप्टी सीएम तथा अन्य मंत्रियों के बड़े कार्यक्रम विश्वविद्यालय के सभागार में कराना पड़ता है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत अभी हाल में दो दिवसीय युवा धर्म संसद का आयोजन संपन्न हुआ है।

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