फीफा ने AIFF पर प्रतिबंध लगाने और महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी छीनने की दी धमकी, जानें क्यों?

फीफा ने AIFF पर प्रतिबंध लगाने और महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी छीनने की दी धमकी, जानें क्यों?

नई दिल्ली। विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ने तीसरे पक्ष के प्रभाव के कारण अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) पर प्रतिबंध लगाने और अक्टूबर में होने वाले महिला अंडर-17 विश्वकप की मेजबानी छीनने की धमकी दी है। ऐसा उसने उच्चतम न्यायालय के राष्ट्रीय महासंघ के चुनाव करवाने के निर्देश देने के कुछ दिन बाद …

नई दिल्ली। विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ने तीसरे पक्ष के प्रभाव के कारण अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) पर प्रतिबंध लगाने और अक्टूबर में होने वाले महिला अंडर-17 विश्वकप की मेजबानी छीनने की धमकी दी है। ऐसा उसने उच्चतम न्यायालय के राष्ट्रीय महासंघ के चुनाव करवाने के निर्देश देने के कुछ दिन बाद किया है। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एआईएफएफ की कार्यकारी समिति को प्रशासकों की समिति के द्वारा तय किए गए कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

प्रशासकों की समिति अभी राष्ट्रीय महासंघ का संचालन कर रही है। भारत को 11 अक्टूबर से फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी करनी है। चुनाव 28 अगस्त को करवाए जाएंगे और चुनाव प्रक्रिया 13 अगस्त से शुरू हो जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने प्रशासकों की समिति द्वारा तैयार किए गए कार्यक्रम को स्वीकार कर लिया है।

फीफा ने एआईएफएफ के कार्यवाहक महासचिव सुनंदो धर को भेजे गए पत्र में कहा, ‘‘हम एआईएफएफ से अनुरोध करते हैं कि वह हमें उच्चतम न्यायालय के तीन अगस्त 2022 के फैसले की आधिकारिक प्रतिलिपि नौ अगस्त 2022 को भारतीय समयानुसार शाम पांच बजे तक उपलब्ध कराए।’’ पत्र में आगे कहा गया है, ‘‘उपरोक्त दस्तावेज के प्राप्त होने और उसके गहन विश्लेषण करने के बाद हम फीफा के कानूनों के अनुसार आगे के संभावित फैसलों के लिए इसे अपने निर्णय लेने वाले निकाय को भेजेंगे। संभावित फैसलों में एआईएफएफ का निलंबन और भारत में होने वाले फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी के अधिकारों को वापस लेना भी शामिल है।’’

फीफा ने बताया कि वह अपनी सदस्य इकाइयों के संचालन में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के खिलाफ है। फीफा ने कहा, ‘‘इस संदर्भ में हम एआईएफएफ को फीफा और एएफसी सदस्य संघों पर लागू वैधानिक दायित्वों को याद कराना चाहेंगे, जिसमें स्वतंत्र रूप से अपने मामलों का प्रबंधन करने की बाध्यता शामिल है और यह सुनिश्चित करना है कि उसके अपने मामले किसी तीसरे पक्ष से प्रभावित नहीं हैं।’’

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