अयोध्या की सड़कों का हुआ बुरा हाल, चोटिल हो रहे हैं राहगीर

अयोध्या। देश भर में रामनगरी के नाम से विख्यात अयोध्या की सड़कों का बुरा हाल है। जगह-जगह से टूटी सड़कों पर चलने से न सिर्फ वाहन चालक ही कतराते हैं बल्कि पैदल चलने वाले राहगीरों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हर दूसरे-तीसरे दिन बैठकों का कोरम पूरा कर अधिकारी अयोध्या में …
अयोध्या। देश भर में रामनगरी के नाम से विख्यात अयोध्या की सड़कों का बुरा हाल है। जगह-जगह से टूटी सड़कों पर चलने से न सिर्फ वाहन चालक ही कतराते हैं बल्कि पैदल चलने वाले राहगीरों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हर दूसरे-तीसरे दिन बैठकों का कोरम पूरा कर अधिकारी अयोध्या में सिर्फ विकास का मायाजाल फैला रहे हैं।
आलम यह है कि एक जोरदार बारिश भी सड़कें नहीं झेल सकतीं। रीडगंज चौराहे से लेकर देवकाली ओवरब्रिज तक को पार करने में आपको 500 से भी अधिक गड्ढों से बचकर निकलना होता है। रेतिया, ऋषि टोला, रामजानकी मंदिर के पीछे की सड़क का हाल तो पूछिए मत। चौक-रामनगर, हसनूकटरा में डाली जा रही पाइप के कारण तो धूल ही धूल उड़ रही है।
राम मंदिर निर्माण की आधार शिला रखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अयोध्या को इस तरह से बनाया जाए कि जो भी यहां एक बार आए उसे बार-बार आने का मन करे। प्रधानमंत्री की इन्हीं बातों का अगर यहां के अधिकारी दिमाग में बैठाए होते तो वर्षों से खराब पड़ी सड़कों को बनवा दिया जाता है। मेला व परिक्रमा के दौरान टूटी सड़कों पर पैच वर्क कराकर उन्हें ठीक कर दिया जाता है, लेकिन थोड़े दिन बाद ही सड़कें फिर से अपने असली रूप में आ जाती हैं।
आईए सबसे पहले आपको ले चलते हैं रीडगंज से देवकाली जाने वाली रोड पर। रीडगंज चौराहे से आगे बढ़ते ही शहर की यह सड़क गड्डा मुक्त दावों की पोल खोलती है। हर दो कदम पर गडड्डे तो है ही साथ ही झिर्री भी बिखरी है। रीडगंज से देवकाली तक यह हाल है कि फर्राटा भरना खतरे से खाली नहीं है। इतना ही नहीं ओवरब्रिज पर तो इतने हिचकोले लगते हैं कि लोग कमर थामने को मजबूर होते हैं। ओवरब्रिज की हालत भी वर्तमान में बेहद खस्ता है, जिसके चलते लोगों के लिए हमेशा खतरा बना रहता है।
इसके बाद चलिए पाश कहे जाने वाले सिविल लाइन इलाके में सुरसुरि कालोनी रोड की ओर। इस रोड की हालत इतनी खस्ता है कि बाइक सवार अक्सर चोटहिल होते हैं। यहां सड़क गायब हो गई है बस गड्डे बचे हुए जबकि कालोनी में प्रशासन के अधिकारी रहते हैं। रोज इसी सड़क से आते-जाते हैं, लेकिन कोई सुधार नहीं। इसके अलावा नियावां चौराहे से रेतिया जाने वाले मार्ग का बुरा हाल है।
मछली मंडी से आगे बढ़ते ही रेतिया तक पहुंचना लोगों के लिए पहाड़ पर चढ़ने के समान है। एक तो जगह जगह खुदे गड्डे और बिखरे मिट्टी के ढेर बड़े खतरे से कम नहीं हैं। स्थानीय लोगों ने कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
इसके शहर की बालकराम कालोनी, डीएम आवास की ओर जाने वाली सड़क समेत एक दर्जन शहरी सड़कों का बुरा हाल है। इधर हुई बारिश ने कोढ़ में खाज की स्थिति पैदा कर दी है। गंभीर बात यह है कि सड़कों के लिए जिम्मेदार पीडब्ल्यूडी और नगर निगम दोनों शहरी सड़कों के हालात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बताया जाता है कि आगे और बारिश हुई तो इन सड़कों समेत अन्य पर राह चलना भी जोखिम भरा होगा।
कोट –
सड़कों के अनुरक्षण का ध्यान रखा जाता है। जो जर्जर सड़कें हैं उनकी मरम्मत बारिश बाद ही संभव है। स्थलीय निरीक्षण के बाद रिपोर्ट तैयार की जायेगी।
– डी पी सिंह – सहायक अभियंता, लोक निर्माण विभाग
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