महंगाई से राहत

बढ़ती महंगाई से देश की बड़ी आबादी त्रस्त है। पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाते हुए माना था कि आने वाले महीनों में जनता को महंगाई की ऊंची दरों से निजात नहीं मिलने वाली है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि महंगाई इस समय सबसे बड़ी चिंता है। …
बढ़ती महंगाई से देश की बड़ी आबादी त्रस्त है। पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाते हुए माना था कि आने वाले महीनों में जनता को महंगाई की ऊंची दरों से निजात नहीं मिलने वाली है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि महंगाई इस समय सबसे बड़ी चिंता है। उन्होंने संकेत दिया कि अगले माह होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि जापान को छोड़ दें तो सभी विकसित देशों में महंगाई सात प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। भारत में भी खुदरा महंगाई पिछले चार महीने से केंद्रीय बैंक के ऊपरी दायरे छह प्रतिशत से ज्यादा बनी रही है। अप्रैल में यह 7.79 प्रतिशत रही थी।
राहत की बात है कि सरकार की ओर से महंगाई पर काबू पाने के लिए दो-तीन माह में कई कदम उठाए गए हैं। सरकार गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाने के बाद चीनी निर्यात पर भी पाबंदी लगाने की तैयारी में है। साथ ही पेट्रोल-डीजल के उत्पाद शुल्क में कटौती की है। लोगों को राहत देने के लिए सरकार एक बार फिर पेट्रोल डीजल पर उत्पाद शुल्क घटा सकती है। पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि दुनिया इस वक्त मुश्किल वक्त से गुजर रही है। विश्व कोरोना महामारी से उबर ही रहा था कि यूक्रेन संकट आ खड़ा हुआ, जिससे आपूर्ति शृंखला और कई चीजों की कमी हुई।
इसके बावजूद सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबद्ध है। ध्यान रहे पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती से केंद्र सरकार के खजाने में इस वित्तीय वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये कम जमा होंगे। उधर उज्ज्वला योजना के लिए सब्सिडी पर 6,100 करोड़ रुपये का खर्च होगा। अब मंगलवार को खाद्य तेलों से आयात शुल्क हटाकर सरकार ने जनता को महंगाई से राहत दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। ये फैसले समय की मांग के साथ-साथ सरकार का नैतिक दायित्व भी हैं। बहरहाल विपक्ष आरोप मढ़ता रहा है कि केंद्र सरकार कोविड से हलकान जनता पर महंगाई का बोझ डाल रही है।
कहा जा रहा था कि महंगाई क्यों बढ़ रही है, यह जानना जनता के लिए महत्वपूर्ण नहीं है। उसके लिए ये बात मायने रखती है कि महंगाई कम कैसे होगी। समझा जाना चाहिए कि महंगाई कम करने के लिए केंद्र व राज्यों के साझे प्रयास जरूरी हैं। विश्वास किया जाना चाहिए कि केंद्र सरकार के ताजा कदम से लोगों की मुश्किलों में कुछ कमी आएगी। संकट के दौर में कम से कम राजनीति तो नहीं होनी चाहिए।
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