चीन को चेतावनी

चीन को चेतावनी

जापान में आयोजित हो रहे क्वाड शिखर सम्मेलन से चीन की बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है। उसने कहा है कि क्वाड कभी भी सफल नहीं हो सकता। इसका कारण यह है कि अमेरिका ने चीन को नियंत्रित करने के लिए यह कवायद शुरू की है। क्वाड सुरक्षा संवाद पहल में भारत, अमेरिका, जापान और …

जापान में आयोजित हो रहे क्वाड शिखर सम्मेलन से चीन की बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है। उसने कहा है कि क्वाड कभी भी सफल नहीं हो सकता। इसका कारण यह है कि अमेरिका ने चीन को नियंत्रित करने के लिए यह कवायद शुरू की है। क्वाड सुरक्षा संवाद पहल में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड के चारों देश भी इस बात से बखूबी वाकिफ हैं कि चीन से निपटना किसी महारणनीति का हिस्सा नहीं, उनकी रोजमर्रा की सुरक्षा जरूरतों का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चेतावनी दी है कि अगर चीन ने ताइवान को बलपूर्वक लेने की कोशिश की तो अमेरिका ताइवान की सुरक्षा के लिए सैन्य हस्तक्षेप करेगा।

राष्ट्रपति बाइडेन ने सोमवार को इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका ‘वन चाइना पॉलसी’ को मानता है, लेकिन चीन के दावे का समर्थन नहीं करता है कि ताइवान उसका हिस्सा है। वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन हांगकांग और मकाऊ की तरह ही ताइवान को भी अपना हिस्सा मानता है। चीन का मानना है कि वह एक राष्ट्र है और ताइवान, हांगकांग और मकाऊ उसका हिस्सा है। हालांकि ताइवान चीन की वन चाइना पॉलिसी को नहीं मानता और अपने आप को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करता आया है। ताइवान को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता न तो भारत ने दी है और न ही अमेरिका ने।

भारत भी चीन को संकेत देता आ रहा है कि यदि चीन को अपनी ‘वन चाइना पॉलिसी’ पर भारत की स्वीकृति चाहिए तो चीन को कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के ऊपर भारतीय संप्रभुता को स्वीकार करना ही होगा। जैसे – जैसे चीन अपनी विस्तारीकरण की नीति पर आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे उसकी आक्रामकता भी बढ़ती जा रही है। बाइडेन का बयान ऐसे समय में आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की आक्रामकता और उत्तर कोरिया से बढ़ते परमाणु खतरे के मद्देनजर आज दुनिया के सामने चुनौती है, जिस चुनौती का कोई भी देश अकेले सामना नहीं कर सकता।

आवश्यकता है कि सारे साथ मिलकर सुनियोजित ढंग से आपसी ताल-मेल से इसका सामना करने का प्रयास करें। आज अमेरिका के राष्ट्रपति साफ कह रहे हैं कि चीन की आक्रमकता पर अंकुश रखने का प्रयास जारी है ताकि चीन अपनी हदों में रहे। देखना होगा कि भारत इस परिस्थिति से कितना प्रभावित होता है। बीते कुछ समय से भारत चीन के बीच जिस तरीके से सीमा विवाद बढ़ा है, ऐसी में भारत का ताइवान को लेकर कूटनीति खेलना कोई अस्वाभाविक घटना नहीं कही जा सकती।

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