विश्वास की साझेदारी

विश्वास की साझेदारी

जापान में चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। जब चीन और क्वाड सदस्य देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में भारत, अमेरिका और विश्व की कई अन्य शक्तियां स्वतंत्र, खुला …

जापान में चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। जब चीन और क्वाड सदस्य देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में भारत, अमेरिका और विश्व की कई अन्य शक्तियां स्वतंत्र, खुला एवं संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दे रही हैं।

सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर चीन की तानाशाही तक के मुद्दे उठे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने जहां यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध की निंदा की, वहीं पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को लेकर भारत और अमेरिका के नजरिए अलग-अलग रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि पीएम मोदी की कोरोना को कंट्रोल करने की सफलता ने दुनिया को दिखाया है कि लोकतंत्र कितनी सफलता से काम कर सकता है। चीन और रूस जैसे निरंकुश शासन तेजी से बदलती दुनिया को कैसे बेहतरी दे सकते हैं क्योंकि उनका नेतृत्व लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से गुजरे बिना निर्णय लेता हैं और फैसलों को अलोकतांत्रिक तरीके से लागू करवाता हैं। बाइडेन के इस बयान से समझा जा सकता है कि सम्मेलन पर रूस और चीन पैनी नजर क्यों लगाए हैं।

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच भरोसे की दोस्ती है। भारत और अमेरिका की साझेदारी सही मायने में विश्वास की साझेदारी है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन की पीएम मोदी से यह दूसरी मुलाकात है। दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर रूस आक्रमण के प्रभावों और पूरी दुनिया पर पड़ रहे इसके असर पर भी चर्चा की।

दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान हुई बातचीत में शामिल मुद्दों की रोशनी में कहा जा रहा है कि कूटनीतिक लिहाज से क्वाड धीरे-धीरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन पर नकेल कसने का सबसे बड़ा मोर्चा बनकर उभर रहा है। भारत चीन सीमा विवाद को देखते हुए भारत के लिए क्वॉड बेहद उपयोगी मंच है। भारत को सामरिक जरूरतों के लिए जहां रूस का साथ जरूरी है वहीं चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका और क्वॉड देशों का साथ उसे साथ चाहिए। अब देखने वाली बात ये है कि इस मोर्चे का इस्तेमाल भारत चीन पर नकेल कसने के लिए किस तरह करता है।