नीदरलैंड-भारत के सहयोग से बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, डच वैज्ञानिक ने जोप वैन वैलन किया निरीक्षण
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बाराबंकी : तीरगांव में एक इंडो-डच सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जाएगा। यह केंद्र सब्जियों और फूलों की खेती के लिए समर्पित होगा। नीदरलैंड के वैज्ञानिक जोप वैन वैलन ने प्रस्तावित स्थल का दौरा किया। उन्होंने वहां की मिट्टी, पानी और जलवायु का विस्तृत निरीक्षण किया। साथ ही स्थानीय किसानों के खेतों और मंडियों का भी जायजा लिया। यह केंद्र भारत सरकार और नीदरलैंड सरकार के संयुक्त प्रयास से स्थापित किया जा रहा है। केंद्र का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक तकनीक से खेती करने में मदद करना है।
यहां से किसानों को उन्नत किस्म के बीज भी उपलब्ध कराए जाएंगे। केंद्र में किसानों, उद्यमियों और अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। निरीक्षण के दौरान अयोध्या मंडल की डिप्टी डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर गीता त्रिवेदी और जिला उद्यान अधिकारी डॉ. धीरेंद्र सिंह सौरभ सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना से क्षेत्र के किसानों को सब्जियों और फूलों की खेती में नई ऊंचाइयां हासिल करने में मदद मिलेगी। जिला उद्यान अधिकारी डॉ. धीरेंद्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय एकीकृत बागवानी विकास मिशन (राज्य औद्यानिक मिशन) के अंतर्गत बाराबंकी की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इंडो-डच तकनीक पर आधारित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाना है।
इसी को देखते हुए यहां का भ्रमण किया गया। इस तकनीक से बने और प्रस्तावित सेंटरों की समीक्षा अपर मुख्य सचिव उद्यान 31 जुलाई को करेंगे, उसके बाद इसके निर्माण के लिये हरी झंडी मिलेगी। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने से यहां उच्च गुणवत्ता की सब्जियों व फूलों की पौध तैयार की जाएगी तथा किसानों को ट्रेनिंग भी दी जायेगी। एक साल में 50 लाख से लेकर 1 करोड़ पौध तैयार किए जाएंगे। जिनकी कीमत एक रुपए से लेकर दो रुपए तक होगी। जिसे नकद मूल्य पर किसानों को मुहैया कराया जायेगा। स्थानीय किसानों के साथ-साथ आसपास के जनपदों के किसान भी इसका फायदा उठा सकते हैं।
बेमौसम तैयार होगी पौध
दरअसल किसान फूलों व सब्जियों की खेती शुरू करते हैं, लेकिन कई बार जानकारी के आभाव में नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। ऐसे किसानों के लिये जिले में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल एंड फ्लावर बनाने की कवायद शुरू हुई है। जहां पर सब्जियों के पौध तैयार किए जाएंगे और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसमें पॉलीहाउस, नेट हाउस व वॉक-इन-टनल के सहयोग से सब्जियों व फल की पौध बेमौसम तैयार की जाती है। ऑटोमेटिक मशीन से खाद, पानी आदि लगता है। यह सेंटर स्थापित होने से बाराबंकी के ही नहीं बल्कि दूसरे जनपदों के भी किसान समय से पहले पौध ले जाकर फसल होने पर अच्छा मुनाफा सकेंगे।
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