लखीमपुर-खीरी: मोहना नदी में नहाते समय तीन बच्चे डूबे, एक की मौत

लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। कोतवाली मेला देखने आए मोहना नदी के हलौना घाट पर पहुंचे तीन बच्चे नहाते समय नदी के गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। यह देख मेले में हड़कंप मच गया। तमाम लोग नदी में कूद गए। ग्रामीणों ने तीनों बच्चों को बाहर निकाल लिया। एक बच्चे की हालत गंभीर होने …
लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। कोतवाली मेला देखने आए मोहना नदी के हलौना घाट पर पहुंचे तीन बच्चे नहाते समय नदी के गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। यह देख मेले में हड़कंप मच गया। तमाम लोग नदी में कूद गए। ग्रामीणों ने तीनों बच्चों को बाहर निकाल लिया। एक बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे निघासन सीएचसी ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। बच्चे की मौत से उसके परिवार में कोहराम मच गया है।
भारत-नेपाल सीमा पर बह रही मोहाना नदी के हलौना घाट पर काफी अर्से से सेतुवाही मेला लगता चला आ रहा है। शनिवार को भी मेला लगा था। मेले में कड़िया, गुलरिया पत्थर शाह, गंगानगर, रननगर, प्रतापुरवा, दीपनगर, बेला परसुआ, ढखैनी, फरेंदा फार्म, गंगानगर, रननगर, दीपनगर सहित तमाम गांवों के लोग हर साल मेले में आते हैं और नदी में स्नान कर पूजा -पाठ करते हैं।
इसी मेले में गांव कड़िया निवासी शांतनु अपने साथी नीरज और आंशू के साथ हलौना घाट पहुंचा था। तीनों बच्चे मोहाना नदी में नहा रहे थे। नहाते समय तीनों अचानक गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। यह देख मेले में हड़कंप मच गया। बच्चों को डूबता देख मेले में मौजूद कई ग्रामीणों ने नदी में छलांग लगा दी और नीरज व आंशू को सकुशल बचा लिया, लेकिन शांतनु (10 ) पुत्र श्याम किशोर को नदी में तलाश करने में कुछ वक्त लग गया। ग्रामीणों ने उसे भी कड़ी मशक्कत कर खोज निकाला। हालत गंभीर होने पर उसे आनन-फानन में निघासन सीएचसी ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने शांतनु को मृत घोषित कर दिया।
शांतनु की मौत से परिवार का बुझा चिराग, पसरा मातम
माता-पिता का इकलौता पुत्र था शांतनु, परिवार में मची चीख पुकार
अमृतविचार, लखीमपुर-खीरी। हलौना घाट पर नहाते वक्त डूबकर मरा शांतनु अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। उसकी एक छोटी बहन है। इकलौते पुत्र की मौत से उसके माता-पिता का चिराग हमेशा के लिए बुझ गया है। पुत्र के वियोग से परिवार में चीखपुकार मची है। गांव में भी मातमी सन्नाटा छाया हुआ है।
गांव कड़िया निवासी श्यामकिशोर मेहनत-मजदूरी करते हैं। थोड़ी बहुत खेती बाड़ी है। इससे उनके परिवार का खर्च चलता है। 10 वर्षीय शांतुन इकलौता पुत्र था। उसकी छोटी बहन करीब सात साल की है। श्याम किशोर ने बताया कि शांतुन तैर नहीं पाता था। वह सुबह ही अमावस्या में नहाने की जिद कर रहा था। मां ने उसे जाने से मना किया था, लेकिन वह चुपके से साइकिल लेकर कहीं निकल गया। सुबह करीब 10 बजे उसकी मां गुड्डी ने जब तलाश शुरू की तो वह नही मिला।
तलाश के दौरान मेला देखने हलौना घाट जाने की जानकारी हुई थी। गांव के तमाम बच्चे और महिला व पुरुष मेले में गए थे, इसलिए परिवार के लोग थोड़ा निश्चिंत हो गए और उसके मेला घूमकर दोपहर तक आने की उम्मीद लगाए इंताजर कर रहे थे। इसी बीच शांतुन तो नहीं आया, लेकिन उसके डूबने और अस्पताल ले जाने की खबर आई।
इस पर परिवार में कोहराम मच गया। परिवार के लोग जब तक अस्पताल पहुंचते। इसी बीच उन्हें मौत की खबर मिल गई। इससे परिवार में चीखपुकार मच गई। शांतनु की मां गुड्डी मौत की खबर सुनते ही गश खाकर गिर पड़ी। गांव में मातमी सन्नाटा छा गया। शांतनु की मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
लापरवाही की वजह से हुआ हादसा
मेले में पहुंचे लोगों ने बताया कि मोहाना नदी के किनारे इकलौते सेतवाही अमावस्या पर लगने वाले मेले में किसी जनप्रतिनिधि की नजर नही पड़ी। इस क्षेत्र के जीर्णाेद्धार के लिए कोई भी सुलभ इंतजामात भी नहीं किए गए है। नदी लगातार कटान कर रही है। कटान होने से किनारे में बड़े बड़े गढ्ढे है, जहां से सीधे नदी में जा गिरने की संभावनाएं बनी रहती हैं। इस मान्यताओं से धार्मिक स्थल को सुधारने का प्रयास करना चाहिए। ताकि आमजन सहूलियत महसूस करें।
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