लखीमपुर-खीरी: जमानत रद्द होने से केंद्रीय मंत्री को लगा झटका, आशीष की बढ़ी बेचैनी

लखीमपुर-खीरी, अमृतविचार। तिकुनियां हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे मुख्य आरोपी आशीष मिश्र की सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद्द होने से केंद्रीय मंत्री को करारा झटका लगा है। वहीं आरोपी आशीष और उसके परिवार की बेचैनी बढ़ गई है। जमानत रद्द होने के बाद अब आशीष का जेल जाना तय …
लखीमपुर-खीरी, अमृतविचार। तिकुनियां हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे मुख्य आरोपी आशीष मिश्र की सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद्द होने से केंद्रीय मंत्री को करारा झटका लगा है। वहीं आरोपी आशीष और उसके परिवार की बेचैनी बढ़ गई है। जमानत रद्द होने के बाद अब आशीष का जेल जाना तय है। आशीष के वकील ने कहा कि अभी उन्हें आदेश की प्रति नहीं मिली है। आदेश प्रति मिलने के बाद वह उसका अवलोकन करेंगें। यदि शीर्ष अदालत ने एक हफ्ते में आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए हैं तो उसका पालन किया जाएगा।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी कोतवाली तिकुनियां के पैतृक गांव बनवीरपुर के रहने वाले हैं। तीन अक्तूबर 2021 को उनके पिता की स्मृति में पैतृक गांव में विराट दंगल समारोह चल रहा था, जिसमें पूर्व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को भी शामिल होना था। इसकी जानकारी जब किसानों को हुई तो तीन कृषि कानून और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की किसानों के प्रति की गई टिप्पणी से भड़के हजारों की संख्या में किसान काले झंडे लेकर तिकुनियां पहुंच गए थे और हेलीपैड पर कब्जा कर लिया था।
इसके बाद प्रशासन ने उन्हें सड़क मार्ग से ले जाने लगा। दोपहर बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अगवानी करने के लिए बनवीरपुर से जा रहे काफिले में शामिल केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र की महिंद्रा थार से कुचलकर तीन किसानों व एक पत्रकार की मौत हो गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में में कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के सामने ही चार भाजपा कार्यकर्ताओं की लाठियों से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। हिंसा पर उतरी भीड़ ने महिंद्रा थार गाड़ी में आग लगा दी थी।
पुलिस उपद्रवियों के सामने नतमस्तक रही। हिंसा में दो मामले दर्ज हुए थे। एक मामला मृतक किसानों के परिवार वालों की तरफ से मुख्य आरोपी आशीष मिश्र सहित अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था, जबकि भाजपा कार्यकर्ता सुमित मोदी ने किसानों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया था। दोनों मामलों की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी।
एसआईटी ने 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया था और आशीष के घटनास्थल पर ही मौजूद होने का दावा किया था। आशीष करीब चार महीने न्यायिक हिरासत में जेल में रहा था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 10 फरवरी को इसी मामले में आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी। जिसके खिलाफ पीड़ित पक्ष ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर जमानत रद्द करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट को वापस भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष का ध्यान नहीं रखा। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने चार अप्रैल को सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले में अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था। उधर जमानत रद्द होने की खबर मिलते ही केंद्रीय गृह मंत्री और उनके परिवार को करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष को एक हफ्ते के भीतर आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए हैं। इससे आशीष और उनके परिवार की बेचैनी बढ़ गई है।
जमानत रद्द होने से भाजपा खेमे में छाई मायूसी
जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद आशीष मिश्र अपने पिता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के साथ संसदीय कार्यालय पर भी जनता की समस्याएं सुन उनका निस्तारण करा रहा था। वहीं जमानत रद्द होने के बाद जहां आशीष भूमिगत हो गया है। वहीं जिले के भाजपा खेमे में मायूसी छा गई। पूरे दिन जमानत को लेकर कचहरी से लेकर पान, चाय के ठेलों आदि की दुकानों पर लोग चर्चा करते रहे।
केंद्रीय मंत्री के गांव में भी मायूसी, होती रही चर्चा
तिकुनियां हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्र जमानत मिलने के बाद जब जेल से छूटे तो उनके पैतृक गांव बनवीरपुर में खुशी का माहौल था। जमानत रद्द होने के आए फैसले के बाद से गांव में एक बार फिर मायूसी छा गई है। शुभचिंतकों और करीबियों का उनके घर पर आना जाना लगा रहा।
आदेश की कॉपी मिलने पर करेंगे विचार: अधिवक्ता
अभी तक मुझे आदेश की कॉपी प्राप्त नहीं हुई है।आदेश की कॉपी मिलने पर उसका अवलोकन करेंगे, पढ़ेंगे फिर देखेंगे की क्या हो सकता है। अगर शीर्ष अदालत ने हफ्ते भर में आत्मसमर्पण का आदेश दिया है तो नियत समय के भीतकर आशीष आत्मसमर्पण करेंगे—अवधेश कुमार सिंह, (मुख्य आरोपी आशीष के अधिवक्ता)
तिकुनियां हिंसा के गवाह पर हुआ था हमला
विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद कोतवाली तिकुनियां क्षेत्र के डांगा में भाजपा कार्यकर्ता विजय जुलूस निकाल रहे थे। इस बीच बेलरायां चीनी मिल गन्ना लेकर जा रहे तिकुनियां क्षेत्र के रहने वाले दिलजोत सिंह पर हमला हुआ था। वह तिकुनियां हिंसा मामले का मुख्य गवाह भी है। इस हमले के बाद किसान संगठनों में रोष व्याप्त हो गया था। किसानों तिकुनियां गुरुद्वारे में बैठक कर रोष जताया था। कोतवाली पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की थी। किसानों ने रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद रिपोर्ट की प्रति सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए अपने वकील को भेजी थी।