दुनिया के हित में नहीं

दुनिया के हित में नहीं

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के दौरान दुनिया के अधिकतर देश खेमों में बंटे हुए हैं। वहीं, कुछ देश हैं जो इस पूरे संकट में तटस्थ हैं। रूस की ओर से यूक्रेन के कई शहरों में जोरदार हमला जारी है। युद्ध के 18वें दिन पश्चिमी यूक्रेन में स्थित सैन्य प्रशिक्षण अड्डे पर …

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के दौरान दुनिया के अधिकतर देश खेमों में बंटे हुए हैं। वहीं, कुछ देश हैं जो इस पूरे संकट में तटस्थ हैं। रूस की ओर से यूक्रेन के कई शहरों में जोरदार हमला जारी है। युद्ध के 18वें दिन पश्चिमी यूक्रेन में स्थित सैन्य प्रशिक्षण अड्डे पर हुए रूसी हवाई हमले में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई। रूस के आक्रमण से मारियुपोल सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

इस रूसी हमले से युद्ध पोलैंड सीमा के करीब तक पहुंच गया है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में देश की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के साथ साथ यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर मौजूदा वैश्विक परिदृश्य पर चर्चा की। यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है।

रूस और यूकेन के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है, जो बेनतीजा रही है। संघर्ष विराम के लिए हुई वार्ता शनिवार को फिर विफल रही और जब अमेरिका ने यूक्रेन को हथियारों के लिए 20 करोड़ डॉलर की राशि फिर प्रदान करने की घोषणा की तो एक वरिष्ठ रूसी राजनयिक ने चेतावनी दी कि मास्को सैन्य उपकरणों की विदेशी खेप पर भी हमला कर सकता है।

उधर इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से रूस- यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा की है। भारत की तरह इजरायल भी रुस और यूक्रेन दोनों का ही मित्र राष्ट्र है। वो भी भारत की तरह ही किसी देश को विनाश के रास्ते पर ले जाने के खिलाफ है। युद्ध को पुतिन अभी भी स्पेशल िमलिट्री ऑपरेशन बता रहे हैं और उसी हिसाब से व्यवहार कर रहे हैं|

यूक्रेन के आकाश और समुद्र तट दोनों पर फिलहाल रूस का कब्ज़ा है| कीव पर घेरा पड़ा है, खरकीव तबाह हो चुका है, सबसे महत्वपूर्ण पूर्वी पोर्ट भी बचा पाना यूक्रेन के लिए मुश्किल है| फिलहाल कूटनीतिक विशेषज्ञ ये आकलन लगा रहे हैं कि यूक्रेन का अपेक्षित साथ न देने को लेकर नाटो की और उससे भी ज्यादा अमेरिका की साख और विश्वसनीयता पर सवाल उठ चुके हैं।

यूक्रेन घोषित कर चुका है कि वह नाटो का मेम्बर नहीं होगा। यानि रूस को लगभग वो सब मिल चुका है जो उसे चाहिए था|इसके आगे की लड़ाई सिर्फ उसकी आत्मघाती सर्वनाशी विस्तारवादी भूख होगी| जो दुनिया के हित में नहीं है|