हल्द्वानी: पहाड़ की पीढ़ा ही नहीं लोक संस्कृति का सृजन भी कर रहा ”कुमाऊं वाणी”

हल्द्वानी, अमृत विचार। पहाड़ की पीढ़ा ही नहीं बल्कि हर उस मुद्दे को जो आम जन मानस से जुडे़ हैं को कुमाऊं वाणी बेबाकी के खुले मंच में रखते आ रहा है। 11 मार्च 2010 को तत्कालीन राज्यपाल माग्रेट अल्वा ने इसी सोच के साथ सामुदायिक रेडियो का उद्घाटन किया था और आज कुमाऊं वाणी …
हल्द्वानी, अमृत विचार। पहाड़ की पीढ़ा ही नहीं बल्कि हर उस मुद्दे को जो आम जन मानस से जुडे़ हैं को कुमाऊं वाणी बेबाकी के खुले मंच में रखते आ रहा है। 11 मार्च 2010 को तत्कालीन राज्यपाल माग्रेट अल्वा ने इसी सोच के साथ सामुदायिक रेडियो का उद्घाटन किया था और आज कुमाऊं वाणी अपने 12 वर्ष पूरे कर चुका है।
नैनीताल जिले के सूपी में मौजूद सामुदायकि रेडियो का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। तमाम क्षेत्रिय लोगों के साथ रेडियो कर्मियों ने केक काटा और जश्न मनाया। आपको बता दें कि बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से कुमाऊंनी संस्कृति के साथ लोगों तक सरकार की योजनाओं, आपदा न्यूनीकरण से लेकर खेती बागवानी विषयों पर लगातार काम करता रहा है। कुमाऊं वाणी कुमाऊं का पहला सामुदायिक रेडियो है।
रेडियों के प्रबंधक मोहन कार्की ने कहा कि बदलते दौर के साथ रेडियो भी खुद को बदल रहा है, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के साथ समुदाय के लोगों को साथ लेकर उनकी समस्याओं पर आधारित कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं ताकि दुश्वारियों का निराकरण असानी से हो सके और उनकी आवाज शासन-प्रशासन तक पहुंच सके।
वहीं इस मौके पर कई नए कार्यक्रमों की सीरिज को लेकर भी रूपरेखा तय की गयी जो युवाओं और महिलाओं से संबंधित होंगे इसके अलावा रेडियो पहाड़ में छुपे हुए टैलेंट को निकालकर भी सामने लाने के लिए तमाम तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। इस मौके पर जितेन्द्र रैक्वाल, बहादुर गिनवाल, नारायण मेहता, हरीश बिष्ट, कविता बिष्ट, महेश पंचम और टेरी के कृषि वैज्ञानिक डा. नारायण सिंह ,प्रवीण शर्मा, रवि सिंह आदि मौजूद रहे।