लखनऊ: बेघर और बेसहारा गरीबों को नहीं मिल रही ठंड से राहत

लखनऊ। प्रदेश में कड़ाके की ठंड के बावजूद बेघर और बेसहारा गरीबों को ठंड से राहत नहीं मिल रही है। ठंड से लोग ठिठुर रहे हैं लेकिन बचाव के लिए उन्हें ना तो अलाव और ना ही कंबल का सहारा मिल रहा है। जिला प्रशासन ने पांचों तहसील क्षेत्रों में असहाय और बेसहारा लोगों में …
लखनऊ। प्रदेश में कड़ाके की ठंड के बावजूद बेघर और बेसहारा गरीबों को ठंड से राहत नहीं मिल रही है। ठंड से लोग ठिठुर रहे हैं लेकिन बचाव के लिए उन्हें ना तो अलाव और ना ही कंबल का सहारा मिल रहा है। जिला प्रशासन ने पांचों तहसील क्षेत्रों में असहाय और बेसहारा लोगों में वितरण के लिए 25 लाख रुपये की लागत से लगभग 14 हजार में से 6250 कंबल खरीदे गए हैं, लेकिन वितरण काफी धीमी गति से हो रहा है।
निराषितों को ठंड से बचाने के लिए आवंटित हुआ था धन
जिला प्रशासन के अधिकारी कंबलों के वितरण का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन जनवरी का महीना आधा निकल गया है फिर भी खरीदे गए आध से ज्यादा कंबल कलेक्ट्रेट की कैंटीन में ही रखे हैं। ठंड से निराश्रित एवं असहाय लोगों को बचाने के लिए अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को नवंबर में ही बजट आवंटित कर दिया था। जिसके तहत कंबल खरीदने के लिए प्रति तहसील पांच लाख और अलाव के लिए 50 हजार रुपये दिए गए थे।
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लखनऊ जिला प्रशासन ने दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ही जेम पोर्टल के माध्यम से 288.50 रुपये प्रति कंबल की दर से फेयरडील कंपनी से लगभग 14 हजार कंबल खरीदने का आर्डर दिया था। इन्हें राजधानी की पांचों तहसीलों में असहाय और कमजोर वर्ग के लोगों को कैम्प लगाकर कम्बलों का वितरण किया जाना था।
इनमें से प्रशासन ने लगभग 6250 कंबल खरीदे हैं। पांचों तहसीलों के एसडीएम के साथ सात एसीएम और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को कंबल वितरण की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। लेकिन तहसीलों में यह कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है। अब प्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद कंबल वितरण का कार्य प्रभावित हो गया है। खरीदे गए आधे से अधिक कंबल कलेक्ट्रेट की कैंटीन में रखे रह गए हैं।
ठंड से बचाव के लिए कंबल वितरण का कार्य जनहित का है। इसका आचार संहिता से प्रभावित नहीं है। एसडीएम द्वारा तहसीलों में और एसीएम शहरी क्षेत्र में कंबलो का वितरण करा रहे हैं। अभी तक लगभग 8750 कंबल वितरित किए जा चुके हैं। इसके अलावा तहसीलों के प्रमुख स्थलों पर अलाव की भी व्यवस्था की जा रही है।
विपिन मिश्रा, एडीएम वित्त एवं राजस्व