मुरादाबाद : जांच रिपोर्ट के लिए अभी भी दूसरी लैब का मुंह ताक रहे अधिकारी

मुरादाबाद : जांच रिपोर्ट के लिए अभी भी दूसरी लैब का मुंह ताक रहे अधिकारी

मुरादाबाद, अमृत विचार। प्रदेश की ‘बी’ कैटेगिरी की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में स्टाफ के साथ ही संसाधनों का टोटा लंबे समय से बना हुआ है। बरेली व मुरादाबाद मंडल के अनसुलझे मामलों को सुलझाने के लिए लैब खुलने के बाद भी अफसर जांच रिपोर्ट के लिए लखनऊ और आगरा लैब का मुंह ताकने के लिए …

मुरादाबाद, अमृत विचार। प्रदेश की ‘बी’ कैटेगिरी की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में स्टाफ के साथ ही संसाधनों का टोटा लंबे समय से बना हुआ है। बरेली व मुरादाबाद मंडल के अनसुलझे मामलों को सुलझाने के लिए लैब खुलने के बाद भी अफसर जांच रिपोर्ट के लिए लखनऊ और आगरा लैब का मुंह ताकने के लिए मजबूर हैं। शासन की मंजूरी के बाद आग्नेय शस्त्र व मेडिकोलीगल अनुभाग नहीं खुल सके।

09 अनुभाग ही हो पाए अब तक शुरू, शासन से 12 की मिली थी मंजूरी, निर्माण को मिले थे 21 करोड़ रुपये

इन विभागों में आने वाले नमूने आगरा और लखनऊ की लैब में भेजे जा रहे हैं। यही वजह है कि तमाम मामलों में तो मौत की वजह जानने में सालों लग जाते हैं। जांच रिपोर्ट आने में लंबा वक्त बीतने के कारण अपराधियों को कोर्ट में इसका फायदा भी मिल जाता है। अनुभाग शुरू न होने के पीछे अफसर स्टाफ की कमी होने का हवाला दे रहे हैं। उम्मीद थी कि वर्ष 2021 में स्टाफ की कमी दूर हो जाएगी, लेकिन पिछले सालों की तरह इस बार भी निराशा हाथ लगी।

जांच के लिए 12 अनुभागों को मिली थी शासन की मंजूरी : पहले मुरादाबाद व बरेली मंडल के अनसुलझे मामले लखनऊ व आगरा लैब भेजे जाते थे। इन लैबों में नमूने अधिक आने के कारण रिपोर्ट आने में सालों का वक्त लग जाता था। शासन ने भौतिकी, प्रलेख, रसायन, विष, बायोलाजी, सीरोलाजी, कंप्यूटर फोरेंसिक, क्राइम सीन मैनेजमेंट, फोटोग्राफर, आग्नेय शस्त्र, डीएनए व मेडिकोलीगल विभाग को खोलने की मंजूरी दी थी। आनन-फानन में कांठ रोड पर जगह तलाश कर बी कैटेगिरी की लैब खोल दी गई। हालांकि शुरुआती चरण में केवल नौ अनुभाग ही यहां पर संचालित हो सके। इन अनुभागों में बिसरा, जहर के मामले, रेप की स्लाइड, खून से संबंधित और नशीले पदार्थों की जांच होती है। जबकि हाल में ही में शासन ने मंजूर हो चुके डीएनए विभाग के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने की मंजूरी दे दी।

स्टाफ की कमी के कारण अनुमति मिलने के बाद अभी मेडिकोलीगल व आग्नेय शस्त्र अनुभाग शुरू नहीं किए जा सके हैं। डीएनए टेस्ट के उपकरण खरीदे जा रहे हैं। स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है।-कपिल देव, उप निदेशक विधि विज्ञान प्रयोगशाला

यह है मौजूदा समय में पदों की स्थिति
पद स्वीकृत पद तैनाती
वैज्ञानिक अधिकारी 113
ज्येष्ठ वैज्ञानिक सहायक 14 7
वैज्ञानिक सहायक 18 0
कनिष्ठ प्रयोगशाला सहायक 7 1
प्रयोगशाला सहायक 5 1
फोटोग्राफर 1 1
सहायक फोटोग्राफर 1 0

स्टाफ की कमी से शुरू नहीं हो पा रहे अनुभाग
अनसुलझे मामलों के खुलासे के लिए करोड़ों की लागत से बनी इस प्रयोगशाला में लंबे समय से स्टॉफ की कमी चल रही है। उपनिदेशक के पद को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर स्वीकृत पद रिक्त चल रहे हैं। मौजूदा समय में तो किसी भी वैज्ञानिक सहायक की तैनाती प्रयोगशाला में नहीं हैं। यही वजह है कि करीब पांच सौ से अधिक बिसरा के मामलों की जांच रिपोर्ट नहीं आ पाई है। इसके अलावा स्टाफ की कमी के कारण आग्नेय शस्त्र व मेडिकोलीगल विभाग मंजूरी मिलने के बाद भी नहीं खुल पा रहे हैं। जिस कारण वारदात में शामिल शस्त्र से संबंधित जांच और मौत के अनसुलझे मामलों का खुलासा नहीं हो पा रहा है। वहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो भले ही डीएनए अनुभाग के लिए उपकरण की खरीद शुरू हो चुकी है लेकिन, स्टाफ के टोटे के कारण फिलहाल अनुभाग शुरू होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।