बरेली: अव्यवस्था के बीच खेले बच्चे, अफसर बजट का रोना रोते रहे

बरेली, अमृत विचार। स्पोर्ट्स स्टेडियम में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय जनपद स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के समापन पर मंगलवार को भी अव्यवस्था हावी रही। जिले के 2500 बच्चों ने प्रतियोगिता में भाग लिया था। जिसके लिए लगभग 54 हजार रुपये की धनराशि खर्च की गई। अधिकारी बजट का रोना रोते रहे …
बरेली, अमृत विचार। स्पोर्ट्स स्टेडियम में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय जनपद स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के समापन पर मंगलवार को भी अव्यवस्था हावी रही। जिले के 2500 बच्चों ने प्रतियोगिता में भाग लिया था। जिसके लिए लगभग 54 हजार रुपये की धनराशि खर्च की गई। अधिकारी बजट का रोना रोते रहे और इधर, नन्हे खिलाड़ी मूलभूत सुविधाओं को तक तरस गए।
मंगलवार को भी नन्हे खिलाड़ियों को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ा।
खिलाड़ियों के आराम करने और चेंज करने के लिए टेंट तक नहीं लगाया गया। इस कारण खासकर बालिका खिलाड़ियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जनपद स्तरीय खेलों के आयोजन के लिए 54 हजार रुपए स्वीकृत हुए थे। इस धनराशि से 20 हजार रुपये का टेंट, 22 हजार रुपये के पुरस्कार, 7 हजार रुपये के प्रमाण पत्र, बैनर और स्टेडियम का 8 हजार रुपये का किराया अदा किया गया।
विभाग की ओर से दी गई सुविधाएं
बीते सोमवार से शुरू हुई प्रतियोगिता के पहले दिन खिलाड़ियों को पानी और भोजन न मिलने पर दोपहर बाद लगभग 3 बजे तक परेशान होना पड़ा था। कुछ शिक्षकों ने अधिकारियों से शिकायत की थी। इस पर संज्ञान लेकर अगले दिन की प्रतियोगिता के लिए सुविधा के नाम पर एक पानी के टैंकर की व्यवस्था कराई गई। खाने के पैकेट भी दोपहर 1:30 बजे तक बच्चों को बांट दिए गए। मंच के पास बने शेड के एक ओर टेंट भी लगवाए। जबकि जनपद के कोने-कोने से बच्चों को प्रतिभाग कराने के लिए पहुंचे शिक्षकों का कहना था कि टेंट की जरूरत खिलाड़ियों को थी। जूनियर की बालिकाओं को खेल के दौरान आराम करने और पोशाक बदलने के लिए टेंट का लगा होना आवश्यक था।
यूटा ने लिया खिलाड़ियों को न्याय दिलाने का संकल्प
खेल प्रतियोगिताओं में उपस्थित रहे यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों व अन्य शिक्षकों ने खिलाड़ियों की व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए शासन से इसकी शिकायत की बात कही। एसोसिएशन के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने कहा कि बच्चों के पानी पीने के लिए सरकारी टैंक की व्यवस्था की गई। जबकि, वाटर कैंफर की व्यवस्था की जानी चाहिए थी। टैंकर का गंदा पानी पीने से बच्चों की तबियत खराब हो सकती है। ग्राउंड में खिलाड़ियों के लिए तैयार कराए गए भोजन के पैकेट भी सिर्फ खानापूर्ति के लिए हैं। दो साल बाद हुई इस प्रतियोगिता में विभागीय अधिकारियों ने पूरी तरह से लापरवाही बरती है। जबकि शिक्षकों ने अपने खर्च पर बच्चों को प्रतिभाग कराने के लिए हजारों रुपये खर्च किए हैं। खेल में बरती गई लापरवाही और अनियमिताओं की शिकायत शासन स्तर तक की जाएगी।
प्रतियोगिता में बच्चों के लिए सभी व्यवस्थाएं कराई गई है। जनपद स्तरीय प्रतियोगिाता में खिलाड़ियों की व्यवस्थाओं में कुल 54 हजार धनराशि अनेक मदों में खर्च हुई है। विजेता खिलाड़ियों को प्रमाण पत्र और पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है।
–विनय कुमार, बीएसए