देहरादून: पटरी से उतरा पर्यटन उद्योग, चारधाम और हेमकुंड साहिब आने वाले यात्रियों की संख्या में आई कमी

नरेन्द्र देव सिंह, हल्द्वानी। उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग रोजगार का बड़ा साधन है। अपने धार्मिक महत्तव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर उत्तराखंड में घूमने के लिए देश और विदेश से काफी पर्यटक आते हैं। कोविड की मार के चलते उत्तराखंड का प्रमुख पर्यटन उद्योग को भारी मार पड़ी है। पर्यटन उद्योग से जुड़े तमाम …
नरेन्द्र देव सिंह, हल्द्वानी। उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग रोजगार का बड़ा साधन है। अपने धार्मिक महत्तव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर उत्तराखंड में घूमने के लिए देश और विदेश से काफी पर्यटक आते हैं। कोविड की मार के चलते उत्तराखंड का प्रमुख पर्यटन उद्योग को भारी मार पड़ी है। पर्यटन उद्योग से जुड़े तमाम क्षेत्र घाटे में रहे। होम स्टे, वीर चंद्र गढ़वाली, साहसिक पर्यटन जैसी कई योजनाओं में लगे लोगों के रोजगार को बड़ा झटका लगा है। जबकि पर्यटन उद्योग की राज्य में एक मात्र ऐसा विकल्प है, जिससे पलायन को रोका जा सकता है। जिन क्षेत्रों में पलायन रूक हुआ है वहां पर्यटन उद्योग बड़ी भूमिका निभा रहा है।
कोरोना के चलते धार्मिक और परंपरागत पर्यटन दोनों को ही बड़ा नुकसान हुआ है। विश्व प्रसिद्ध चारधाम और हेमकुंड साहिब के दर्शन करने करने वाले यात्रियों में भी भारी गिरावट आई है। अनुमान है कि कोरोना की मार की चलते राज्य में पर्यटन उद्योग सिमट कर केवल 10 प्रतिशत तक ही रह गया है। इससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैली है।
होम स्टे योजना में पंजीकरण आधे से भी कम हुए
पर्यटन विभाग की ओर से दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में 33 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। इस योजना के तहत खासतौर से पर्वतीय क्षेत्रो में लोग अपने पुश्तैनी घरों को पर्यटकों के लिए होम स्टे के तौर पर देते हैं। पिछले एक साल के अंदर राज्य में 437 होम स्टे ही पंजीकृत किए जा सके हैं। जबकि 2020 में 1262 लोगों ने होम स्टे योजना के तहत पंजीकरण किया था। इससे पहले 2019 में 965 लोगों ने पंजीकरण कराया था लेकिन कोविड की मार के चलते होम स्टे योजना के पंजीकरण में रिकार्ड स्तर पर कमी दर्ज की गई है। राज्य में अभी तक 2664 होम स्टे पंजीकृत चल रहे हैं।
वीर चंद्र गढ़वाली पर्यटन योजना में भी लाभार्थी हुए कम
कोविड की मार से वीर चंद्र गढ़वाली योजना में लाभार्थियों की संख्या भी कम हुई है। इस योजना के तहत राज्य में अभी तक सात हजार लोगों को लाभ दिया जा चुका है। इस योजना के तहत अनुदान राशि को बढ़ाकर 50 प्रतिशत अधिकतम 15 लाख तक कर दिया गया है। वर्ष 2019-20 में इस योजना के तहत 194 लोगों को लाभ दिया गया था। वहीं, 2020-21 में 116 लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है।
कोरोना की मार से विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट
उत्तराखंड में साल 2019 में 3058 विदेशी पर्यटक आए थे। जबकि कोरोना शुरू होने के बाद से अब तक केवल 197 विदेशी पर्यटक ही उत्तराखंड में पर्यटन करने आए हैं। कोविड के चलते विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए सख्त नियमों के चलते ऐसा हुआ है।
साहसिक पर्यटन योजना भी पूरी तरह से धड़ाम
साहसिक पर्यटन योजना के तहत कोविड से पहले 949 लोग आए थे। जबकि कोरोना के बाद साहसिक पर्यटन के लिए कोई भी पर्यटक नहीं आया है। जबकि साहसिक पर्यटन को पर्यटन उद्योग में एक नए क्षेत्र के तौर पर विकसित किया जा रहा है।
चार धाम और हेमकुंड में यात्री भी हुए कम
चार धाम यात्रा और हेमकुंड साहिब में कोरोना से पहले वाले साल 2019 में 3477957 पर्यटक आए थे। जो 2020 में घटकर 330039 ही रह गए। इसके बाद इस साल यह संख्या करीब 4 लाख तक रही है।
राहत के लिए 11 करोड़ की रकम बांटी गई
कोविड के चलते पर्यटन उद्योग से जुड़े प्रभावित लोगों को मुख्यमंत्री की तरफ से 24.30 करोड़ रुपए सहायता राशि दिए जाने की घोषणा की गई, जिसमें से अभी तक 11.85 करोड़ रुपए दिए गए हैं। बाकी की धनराशि का आवंटन किया जाना बाकी है।
पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कोविड की वजह से पर्यटन उद्योग को नुकसान हुआ है। साथ ही प्रभावितों को सहायता राशि भी दी जा रही है। – सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री, उत्तराखंड