एक और वायरस

कोरोना से निजात मिली नहीं कि अब उत्तर प्रदेश में जीका वायरस के बढ़ते मामलों ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप है। प्रदेश में कानपुर और कन्नौज के बाद राजधानी लखनऊ में भी जीका वायरस के मामले सामने आए हैं। राज्य में कुल मामलों की संख्या 111 …
कोरोना से निजात मिली नहीं कि अब उत्तर प्रदेश में जीका वायरस के बढ़ते मामलों ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप है। प्रदेश में कानपुर और कन्नौज के बाद राजधानी लखनऊ में भी जीका वायरस के मामले सामने आए हैं। राज्य में कुल मामलों की संख्या 111 हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वायरस के संक्रमण के प्रसार की गंभीरता को देखते हुए विशेष सावधानी बरतने व जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी), जिन इलाकों में जीका वायरस के मामले मिले हैं, वहां के हर घर का दौरा कर रही है। नमूने लेकर वायरस की जांच की जा रही है। अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि संक्रमण का पता लगाने के लिए 3500 से अधिक नमूनों के परीक्षण किए जा चुके हैं और लगातार परीक्षण किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने मच्छर जनित बीमारियों तथा जल जनित रोगों के उपचार के लिए आवश्यक चिकित्सकीय प्रबंध किए हैं।
गौरतलब है कि कानपुर में पिछले महीने वायुसेना के एक अधिकारी सबसे पहले जीका वायरस से संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद से वहां मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। कानपुर के बाद कन्नौज में भी कुछ मामले मिले थे। अगस्त में, महाराष्ट्र में जीका वायरस संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया था। इससे पहले इस साल सिर्फ केरल में जीका वायरस के संक्रमण के मामले सामने आए थे। जीका वायरस एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है, जो डेंगू और चिकनगुनिया का वाहक भी है।
इसके सबसे आम लक्षण बुखार, शरीर में दर्द, दाने, नेत्रश्लेष्माशोथ, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता या सिरदर्द हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लक्षण आम तौर पर दो से सात दिनों तक रहते हैं और संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं। वायरस के प्रसार से इसके अन्य जिलों में फैलने का खतरा बना हुआ है। परंतु भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। रोकथाम के लिए और तेजी से कार्य करना होगा। व्यापक प्रचार-प्रसार कर जागरूकता पैदा करनी होगी।
उपचार के लिए सभी अस्पतालों में इसके मरीजों के इलाज की पूरी व्यवस्था की जानी चाहिए। प्रत्येक मरीज के स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जानी चाहिए। सभी लोगों को मच्छर जनित एवं जलजनित रोगों से बचने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बतायी जा रही सावधानियों को अपनाना चाहिए।