बरेली: कूड़ा लिफ्टिंग में तेल का खेल, जीपीएस से पकड़ा

बरेली: कूड़ा लिफ्टिंग में तेल का खेल, जीपीएस से पकड़ा

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम की गाड़ियों से कूड़ा लिफ्टिंग में भी तेल का ‘खेल’ चल रहा है। यह खेल बड़े ही गुपचुप तरीके से खेला जा रहा है। शहर में प्रतिदिन 200 से 250 मीट्रिक टन कचरे को कागजों में 450 टन दिखाया जा रहा है। इस तरह से कचरे की लिफ्टिंग के लिए …

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम की गाड़ियों से कूड़ा लिफ्टिंग में भी तेल का ‘खेल’ चल रहा है। यह खेल बड़े ही गुपचुप तरीके से खेला जा रहा है। शहर में प्रतिदिन 200 से 250 मीट्रिक टन कचरे को कागजों में 450 टन दिखाया जा रहा है। इस तरह से कचरे की लिफ्टिंग के लिए अतिरिक्त डीजल भी लिया जा रहा है।

हाल में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने कूड़ा गाड़ियों में लगे जीपीएस से इसकी जांच की तो गड़बड़ी उजागर हुई है। ऐसे मामले में फंसे सफाई व्यवस्था से जुड़े 22 कर्मचारियों को रडार पर लिया गया है और गाड़ी में हुई अतिरिक्त ईंधन की खपत की रकम उनके वेतन से वसूल करने की तैयारी चल रही है।

नगर निगम के रजिस्टर पर हर दिन 300 से 400 मीट्रिक टन और उससे ऊपर भी कूड़े की लिफ्टिंग करके उसे बाकरगंज डंपिंग ग्राउंड में पहुंचाया जा रहा है। निगम के अधिकारी भले ही इतने बड़े पैमाने पर कूड़े के उठान का दावा करें लेकिन हकीकत यह है कि शहर में जगह-जगह पर छोटे-छोटे डंपिंग ग्राउंड पर कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। जाहिर है कि कूड़ा गाड़ियों में ईंधन की खपत को सफाई व्यवस्था में जुड़े लोग घपलेबाजी कर रहे हैं।

हर दिन दौड़ लगा रहीं 250 कूड़ा गाड़ियां
नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि शहर के 80 वार्डों में कूड़ा उठाने के लिए 250 कूड़ा वाहनों को लगाया गया है। इसके अलावा निजी ठेकेदार भी सफाई व्यवस्था में लगे हैं। ईंधन की चोरी रोकने के लिए प्रत्येक गाड़ी में जीपीएस लगाया गया है। इससे हर महीने गाड़ियों के चलने और तेल खर्च की जांच होती है।

शहर बना डंपिंग ग्राउंड
नगर निगम में डीजल को लेकर हो रही धांधली केवल यहीं नहीं निगम से बाहर भी जारी रहती है। निगम की जिन गाड़ियों में कूड़ा लोड कर उनको लैंड फिल ग्राउंड में डंप करने का निर्देश मिलता है। वो ही गाड़ी चालक लैंड फिल ग्राउंड दूर होने और तेल बचाने के चक्कर में शहर में कोई खाली जगह देख कर वहां कूड़ा डाल आते हैं। इस तरह से वाहन चालक भी अच्छी खासी मात्रा में गाड़ियों का डीजल बचाकर बेच डालते हैं। उधर तेल के इस खेल में कूड़ा अपने गंतव्य स्थान पहुंचने के बजाए शहर में ही इधर-उधर खाली जगह या सड़कों के किनारे पड़ा रहता है।

कर्मचारियों के बचाव में उतरा संघ, आज करेगा वार्ता
नगर निगम कर्मचारी संघ के महातंत्री जयपाल सिंह पटेल का कहना है कि कभी वीआईपी के दौरे तो कभी गाड़ियों के कीचड़ आदि में फंसने से तेल की खपत निर्धारित से ज्यादा हो जाती है। जबकि इसका हर्जाना कूड़ा गाड़ी के कर्मचारियों से लिया जाना ठीक नहीं है। इस संबंध में संगठन नगर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से वार्ता की जाएगी। उधर इस मामले को लेकर सफाई कर्मचारियों ने रोष पनप रहा है।

कई कूड़ा गाड़ियों में जीपीएस से जांच हुई है। उसमें तेल की खपत ज्यादा मिली है। करीब दो लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। ऐसे वाहनों के चालकों को चिन्हित किया गया है। ईंधन पर अतिरिक्त खर्च हुई रकम की भरपाई उनके वेतन से करने की तैयारी चल रही है। -डॉ. अशोक कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी