लखनऊ: गौशाला में गोवंशों का बुरा हाल, न खाने को मिल रहा चारा न समुचित इलाज

लखनऊ: गौशाला में गोवंशों का बुरा हाल, न खाने को मिल रहा चारा न समुचित इलाज

लखनऊ। राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री बेसहारा गौवंश सहभागिता योजना’ के तहत प्रदेश में कई गौशालाएं बनाई गई हैं जहां पर गायों की देखरेख से लेकर उनके खानपान की पूरी व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है। लेकिन लखनऊ के बख्शी का तालाब विकासखंड के अंतर्गत अचरामऊ गांव की गौशाला का हाल देखकर आप दंग रह जाएंगे। …

लखनऊ। राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री बेसहारा गौवंश सहभागिता योजना’ के तहत प्रदेश में कई गौशालाएं बनाई गई हैं जहां पर गायों की देखरेख से लेकर उनके खानपान की पूरी व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है। लेकिन लखनऊ के बख्शी का तालाब विकासखंड के अंतर्गत अचरामऊ गांव की गौशाला का हाल देखकर आप दंग रह जाएंगे। यहां पर गायों को ना ही समुचित इलाज मिल पा रहा है और ना ही उनको खाने के लिए चारा मिल पा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि गाय की मौत के बाद उसके शव को खुले में ही फेंक दिया जाता है।

तड़प-तड़प कर चली गयी जान

यहां पर न ही गायों को खाने के लिए सही ढंग से चारा मिल पा रहा है और ना ही उनकी देखरेख करने के लिए पशु चिकित्सक पहुंच पा रहा है। गौशाला के अंदर एक गाय जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही थी। लेकिन जिम्मेदारों के बाद उसका इलाज करने तक का समय नहीं मिला। इस जंग को लड़ते-लड़ते आखिर में उस गाय की मौत हो गई। बता दें कि एक गाय के खानपान के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 900 रुपये प्रति माह मानदेय के रूप में दिया जाता है। बावजूद इसके गायों की ऐसी स्थिति का जिम्मेदार कौन है।

दोषी पाए जाने पर होगी कार्यवाही

हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि एक ओर केंद्र सरकार गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की कवायद कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ गाय की मौत के बाद उनके शव को गौशाला के पड़ोस मैदान में जंगली जानवरों को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। वही खंड विकास अधिकारी पूजा सिंह ने कहा कि वर्तमान में अचरामऊ गौशाला में करीब 48 गाय हैं। यहां पर सुबह शाम दो टाइम चारा दिया जाता है। इसके साथ ही वहां पर दो गौपालक नियमित रूप से है। भूसा और हरे चारे के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी अगर जिम्मेदार दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।