गजब कारनामा : आरोपी को नियम विरूद्ध गिरफ्तार करने में विवेचक फंसे

अमृत विचार, फर्रुखाबाद। सात वर्ष से कम सजा वाले अपराध में आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने में विवेचक फंस गए हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट की मजिस्ट्रेट आयुशी गोस्वामी ने आरोपी का रिमांड खारिज कर उसे रिहा कर दिया है। विवेचक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मंडल सुरक्षा आयुक्त बरेली और सुरक्षा …
अमृत विचार, फर्रुखाबाद। सात वर्ष से कम सजा वाले अपराध में आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने में विवेचक फंस गए हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट की मजिस्ट्रेट आयुशी गोस्वामी ने आरोपी का रिमांड खारिज कर उसे रिहा कर दिया है। विवेचक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मंडल सुरक्षा आयुक्त बरेली और सुरक्षा आयुक्त बरेली को पत्र लिखा है।
जिला हाथरस के थाना हाथरस सिटी के दरोगा बनै सिंह ने रेलवे अधिनियम की धारा 160(2) के मुकदमे के आरोपी संतोष कुमार पुत्र वासुदेव सिंह को गिरफ्तार किया था। आरोपी वहीं हाथरस का रहने वाला है। उसको फर्रुखाबाद में प्रभारी रेलवे न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया। विवेचक बनै सिंह ने आरोपी को 14 दिन के रिमांड पर जेल भेजने के लिए प्रार्थना पत्र दिया।
मजिस्ट्रेट ने केस डायरी का अवलोकन किया। इसमें गिरफ्तार करने का उचित कारण स्पष्ट नहीं किया गया। धारा 160(2) में पांच साल तक की सजा है, जबकि उच्च न्यायालय के आदेश पर सात वर्ष से कम सजा के अपराध में आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। अगर गिरफ्तार किया है, तो उसका कारण केस डायरी में स्पष्ट उल्लेख करना होता है।
विवेचक ने ऐसा कुछ नहीं किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने विवेचक के रिमांड प्रार्थना पत्र को खारिज कर आरोपी को रिहा कर दिया। मजिस्ट्रेट ने आदेश में कहा कि रिमांड खारिज का प्रभाव विवेचना पर नहीं माना जाएगा। आरोपी विवेचना में सहयोग करेगा। तलब होने पर विवेचक के समक्ष उपस्थित होगा।
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