shahyar
साहित्य 

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन देखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझ से भी …
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