Ghazals
साहित्य 

ख़्वाब नहीं देखा है

ख़्वाब नहीं देखा है मैं ने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है रात खिलने का गुलाबों से महक आने का ओस की बूंदों में सूरज के समा जाने का चाँद सी मिट्टी के ज़र्रों से सदा आने का शहर से दूर किसी गाँव में रह जाने का खेत खलियानों में बाग़ों में कहीं गाने का सुबह घर छोड़ने …
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साहित्य 

ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे…

ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे… आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे हसरत ने ला रखा तिरी बज़्म-ए-ख़याल में गुल-दस्ता-ए-निगाह सुवैदा कहें जिसे   फूँका है किस ने गोश-ए-मोहब्बत में ऐ ख़ुदा अफ़्सून-ए-इंतिज़ार तमन्ना कहें जिसे सर पर हुजूम-ए-दर्द-ए-ग़रीबी से डालिए वो एक मुश्त-ए-ख़ाक कि सहरा कहें जिसे   है …
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साहित्य 

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं ज़बाँ मिली …
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साहित्य 

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियाँ जो कहा नहीं …
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उत्तर प्रदेश  लखनऊ 

लखनऊ: हुनर हाट के आखिरी दिन पंकज उधास ने अपनी गजलों से बांधा समां

लखनऊ: हुनर हाट के आखिरी दिन पंकज उधास ने अपनी गजलों से बांधा समां लखनऊ। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित हुनर हाट के अंतिम दिन यानि रविवार को मशहूर गजल गायक पंकज उधास ने अपनी गजल पेश कर समां बांध दिया। कार्यक्रम में आए दर्शकों ने पंकज उधास के गीतों का खूब आनंद लिया। गजल सम्राट पंकज उधास ने अपने लोकप्रिय गीत ‘चिठ्ठी आई है’ पेश किया …
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