उत्तराखंड की आयरन लेडी कही जाने वाली इंदिरा हृदयेश के राजनीतिक सफर के कुछ अहम पड़ाव…
हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड की राजनीति में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश को आयरन लेडी कहा जाता था। उनके निधन पर पूरा राजनीतिक जगत शोक संतप्त है। अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखने के बाद इंदिरा को ये मकाम हासिल हुआ था। आइए जानते हैं उनके जीवन और राजनीतिक अंश से जुड़े कुछ …
हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड की राजनीति में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश को आयरन लेडी कहा जाता था। उनके निधन पर पूरा राजनीतिक जगत शोक संतप्त है। अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखने के बाद इंदिरा को ये मकाम हासिल हुआ था। आइए जानते हैं उनके जीवन और राजनीतिक अंश से जुड़े कुछ अहम पहलू…
= डॉ. इंदिरा हृदयेश का प्रोफाइल =
नाम : इंदिरा हृदयेश
पिता का नाम : टीकाराम पाठक
जन्मतिथि : 7 अप्रैल 1941
जन्मस्थान : अयोध्या
शिक्षा : वर्ष 1959 में आगरा विवि से स्नातकोत्तर हिंदी एवं राजनीति विज्ञान व बीएड, वर्ष में 1974 कानुपर विवि से पीएचडी
विवाह : 13 अक्टूबर 1967
पति का नाम : हृदयेश कुमार
संतान : तीन पुत्र सौरभ शर्मा, संजीव शर्मा, सुमित हृदयेश
राजनैतिक जीवन :
= 1974 में प्रथम बार गढ़वाल-कुमाऊं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य निर्वाचित, वर्ष 1986, 1992, 1998 में फिर से उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य निर्वाचित
= उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समय-समय पर सरकारी आश्वासन संबंधी समिति, प्रश्न एवं संदर्भ समिति, लखनऊ नगर निगम एवं विभिन्न विकासात्मक प्राधिकरणों के निरीक्षण समिति, उप्र विधान परिषद की विधिक अधिकार समिति की सभापति, अधिष्ठाता मंडल एवं अन्य महत्वपूर्ण समितियों की सदस्या एवं सभापति रहीं।
= 1974 में पहली बार वह उत्तरप्रदेश की विधान परिषद में बतौर सदस्य चुनी गई। वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य के बनने के बाद यहां एमएलसी को एमएलए का दर्जा दे दिया गया। इसलिए डॉ. इंदिरा हृदयेश भी एमएलसी से एमएलए बनी थीं। तब काशीपुर से केसी सिंह बाबा कांग्रेस के एकमात्र निर्वाचित विधायक थे। ऐसे में राज्य गठन के समय भाजपा की अंतरिम सरकार बनी।2001 में वह कांग्रेस के साथ विधिवत जुड़ीं और कांग्रेस ने पहली अंतरिम नेता प्रतिपक्ष बनाई गईं। फिर 2002 में जब कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी तो उन्हें कैबिनेट मंत्री का पदभार सौंपा गया।
= डॉ. इंदिरा हृदयेश पहली बार वर्ष 2002 में सूचना प्रसारण एवं लोनिवि मंत्री बनाई गईं। फिर 2012 में लोनिवि, गृह, वित्त, वाणिज्य कर, स्टांप एवं निबंधन, संसदीय कार्य, विधायी एवं निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण विभागों की मुखिया रहीं। 2017 में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने पर उन्हें विधान सदन का नेता, नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
= वर्ष 2002, 2012 व 2017 में हल्द्वानी विधान सभा से विधायक निर्वाचित हुईं।