ममता की आहट से दिल्ली में सियासी हलचल, मोदी, सोनिया से मुलाकात की संभावना

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार व्यापक जनादेश के साथ सत्ता में आने के बाद पहली बार सोमवार को देर शाम नयी दिल्ली रवाना होंगी जहां उनके राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ प्रमुख विपक्षी नेताओं से मुलाकात किये जाने की संभावना है। …
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार व्यापक जनादेश के साथ सत्ता में आने के बाद पहली बार सोमवार को देर शाम नयी दिल्ली रवाना होंगी जहां उनके राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ प्रमुख विपक्षी नेताओं से मुलाकात किये जाने की संभावना है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के कदम पर निगाह रखे हुए हैं। उन्होंने वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए विपक्षी नेताओं से एकजुट होने का हाल ही में आह्वान किया था।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को 34 वर्षों के शासन से बेदखल करने के बाद वर्ष 2011 में ममता बनर्जी सत्ता में आयी थीं। मार्च-अप्रैल में हुए चुनावों में 294 सीटों वाली विधानसभा में बनर्जी ने अपने बूते 213 सीटें हासिल की थीं।
बनर्जी के कम से कम तीन रातों तक नयी दिल्ली में रहने की उम्मीद है और उनकी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कुछ कांग्रेसी नेताओं तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य के साथ से मुलाकात की संभावना है। बनर्जी के 28 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की उम्मीद है और राज्य के लंबित धन और राज्य के लिए कोविड टीकाकरण की उपलब्धता जैसे कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने रविवार को दावा किया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय संसाधनों का ‘दुरुपयोग’ किया और अब प्रधानमंत्री से मिलना चाहती हैं ताकि ‘ हाथ जोड़कर धन की भीख मांग सकें’। उनकी इस टिप्पणी पर राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि घोष को पहले ”संघीय व्यवस्था की समझ होनी चाहिए” जिसके तहत राज्य का प्रमुख हमेशा प्रधानमंत्री से मिल सकता है। संवाददाताओं से बातचीत करते हुए घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने राज्य के खजाने से पैसे निकाले और अब उसे खाली कर दिया है।
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