रेस्पिरेटरी मेडिसिन के शोध छात्र की पर्यावरण व तम्बाकू पर लिखी कविता नेशनल समिट में हुई चयनित

रेस्पिरेटरी मेडिसिन के शोध छात्र की पर्यावरण व तम्बाकू पर लिखी कविता नेशनल समिट में हुई चयनित

लखनऊ। नेशनल समिट वर्ल्ड नो टोबैको डे- 2022 (डब्लू.एन.टी.डी.-2022) में हुई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के पीएचडी छात्र अनुज कुमार पाण्डेय द्वारा लिखित कविता का चयन हुआ है। यह आयोजन इन्टरनेशनल यूनियन अंगेस्ट ट्युबरकुलोसिस एण्ड लंग डिजीस साउथ ईस्ट एशिया ऑफिस नई दिल्ली के सहयोग से ई-रिसर्च सेन्टर फार …

लखनऊ। नेशनल समिट वर्ल्ड नो टोबैको डे- 2022 (डब्लू.एन.टी.डी.-2022) में हुई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के पीएचडी छात्र अनुज कुमार पाण्डेय द्वारा लिखित कविता का चयन हुआ है। यह आयोजन इन्टरनेशनल यूनियन अंगेस्ट ट्युबरकुलोसिस एण्ड लंग डिजीस साउथ ईस्ट एशिया ऑफिस नई दिल्ली के सहयोग से ई-रिसर्च सेन्टर फार टोबैको कन्ट्रोल, डिपार्टमेन्ट ऑफ कम्यूनिटी मेडिसिन एण्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, पीजीआईएमईआर चन्डीगढ़ द्वारा आयोजित की गयी थी।

इस समिट में वर्ल्ड नो टोबैको डे की थीम तम्बाकू पर्यावरण के लिए खतरा पर कविता, स्लोगन, निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें अनुज कुमार पाण्डेय की कविता ’’पर्यावरण एवं तम्बाकू’’ को चयनित किया गया। केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने बताया कि अनुज कुमार पाण्डेय का ट्यूबरकुलोसिस के ऊपर लिखा हुआ स्लोगन पूर्व में टी.बी. की राष्ट्रीय कांफ्रेंस में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। अनुज कुमार पाण्डेय रेस्पिरेटरी मेडिसिन के एडिशनल प्रोफेसर डा. अजय कुमार वर्मा के मार्गदर्शन में अपना शोध कार्य कर रहे है। विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकन्त तथा समस्त चिकित्सकों, जूनियर डाक्टरों ने अनुज को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है ।

तम्बाकू और पर्यावरण

सिगरेट का धुआं हमारे फेफड़ों को करता है बर्बाद,

और बहुत सी बीमारियों को करता है आबाद।

आज लगभग 110 करोड़ से ज्यादा लोग हैं इसके आदी,

80 लाख लोग हर साल कर देते हैं अपने जीवन की बर्बादी।

पैसिव स्मोकिंग भी है नहीं कम खतरनाक,

इसके नुकसान सुन रह जाते हैं लोग हैरान।

2200 करोड़ लीटर पानी होता है बर्बाद सिगरेट बनाने में हर साल,

इतना ही पानी बुझा सकता है दो करोड़ से ज्यादा लोगों की प्यास।

धूम्रपान हर साल आठ करोड़ टन कार्बन डाई आक्साइड पर्यावरण में फैला रहा है,

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ा रहा है।

छह लाख करोड़ सिगरेट बनाने के लिए प्रति वर्ष,

काट दिये जाते हैं साठ करोड़ पेड़-पौधे हर वर्ष।

150 करोड़ हेक्टेयर जंगल अब तक हो चुके हैं ख़ाक तम्बाकू की वजह से।

बंद करो तम्बाकू, मत करो खिलवाड़ हे मानव अपने और बच्चों के भविष्य से।

तम्बाकू कंपनियों के ‘ग्रीन वॉशिंग’ अभियान की कलई खुले,

पर्यावरण संरक्षण की ओर उनका, और लोगों का ध्यान बढ़े।

अब भी है समय हम सबको जग जाना होगा,

बेहतर पर्यावरण के सपने को साकार कराना होगा।

तम्बाकू संबन्धित नियमों को और मजबूत बनाना होगा,

पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान बढ़ाना होगा।

सबसे पहले तम्बाकू पर नियंत्रण करना होगा,

फिर तम्बाकू निषेध की ओर कदम बढ़ाना होगा।

तम्बाकू मुक्त जीवन अपनाना होगा,

इस पावन धरा को स्वर्ग बनाना होगा।

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