कन्नौज: टीबी रोगियों के खाते में हर महीने जाएंगे 500 रुपये, रेगियों को तलाशने के लिए लगाई गईं 125 टीमें

कन्नौज। जिले में जिन टीबी रोगियों का इलाज चल रहा है उनके खाते में नि:क्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण भत्ता भेजा जाएगा। इसके साथ ही नौ मार्च से 22 मार्च तक घर-घर जाकर टीबी के रोगी तलाशे जाएंगे। इस काम में कुल 125 टीमें लगाई जा रहीं …
कन्नौज। जिले में जिन टीबी रोगियों का इलाज चल रहा है उनके खाते में नि:क्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण भत्ता भेजा जाएगा। इसके साथ ही नौ मार्च से 22 मार्च तक घर-घर जाकर टीबी के रोगी तलाशे जाएंगे। इस काम में कुल 125 टीमें लगाई जा रहीं हैं। ये जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. जे.जे. राम ने दी।
डॉ. राम ने बताया कि घर-घर जाने वाली प्रत्येक टीम में कुल तीन सदस्य एक सुपरवाइजर, एक चिकित्साधिकारी व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता होंगी। प्रत्येक टीम रोज 50 घरों में जाकर यह पता करेगी कि परिवार के किसी सदस्य को 15 दिन या उससे अधिक दिन से खांसी या बुखार की शिकायत तो नहीं। साथ ही बलगम में खून, वजन में लगातार गिरावट, भूख में कमी, छाती में दर्द जैसे लक्षण तो नहीं हैं।
इनमें से एक भी लक्षण मिलने की सूरत में पीड़ित के बलगम की जांच कराई जाएगी। अगर व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो 48 घंटे में उसका इलाज शुरू करते हुए यह सूचना नि:क्षय पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। बताया कि टीम में शामिल प्रत्येक सदस्य को 150 रुपये रोज की दर से दस दिन का मानदेय दिया जाएगा। किसी टीम के सदस्य की जांच में कोई टीबी का रोगी मिलता है तो उस टीम के प्रत्येक सदस्य को 200-200 रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे।
डॉ. राम ने बताया कि प्रत्येक पांच टीमों के ऊपर एक सुपरवाइजर होगा जो राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम का कर्मचारी होगा। सुपरवाइजर को प्रतिदिन 300 रुपये की दर से मानदेय देय होगा। यह भी जानकारी दी कि जिले भर में लगभग 1680 टीबी रोगी हैं जिनका इलाज किया जा रहा है।
अब टीबी रोगी को दवा के लिए अस्पताल नहीं आना पड़ता है। संबंधित गांव में नियुक्त किए गए डॉट्स प्रोवाइडर के यहां ही दवा रखवा दी जाती है। यहां से मरीज आकर दवा लेता रहता है और मरीज के ठीक होने पर डॉट्स प्रोवाइडर को 1000 रुपये मिलते हैं।
टीबी के साथ एचआईवी और मधुमेह की भी जांच
डॉ. राम ने बताया कि अब किसी व्यक्ति के टीबी से ग्रसित मिलने पर उसकी एचआईवी और मधुमेह की भी जांच कराई जाती है। जिले भर में इस समय 650 लोग एचआईवी संक्रमित होने से इलाज करा रहे हैं। उन्होंने टीबी रोगियों को हिदायत दी कि बीमारी का पता चलने पर दवा नियमित खाकर ठीक हो सकते हैं। बीच में ही दवा छोड़ देने की स्थिति में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) हो जाती है। इसका इलाज लंबा चलता है।
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