Ghulam Nabi Azad Quits Congress: कांग्रेस से ‘आजाद’ हुए गुलाम, सोनिया गांधी को लिखी दर्दभरी चिट्ठी

श्रीनगर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दिया। इससे पहले आज़ाद ने अपनी नियुक्ति के कुछ ही घंटों बाद जम्मू-कश्मीर कांग्रेस की प्रचार समिति के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, …
श्रीनगर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दिया।
इससे पहले आज़ाद ने अपनी नियुक्ति के कुछ ही घंटों बाद जम्मू-कश्मीर कांग्रेस की प्रचार समिति के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज़ाद ने प्रचार समिति से इस्तीफा देते समय स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के पत्र में उन्होंने लिखा, बड़े अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा सदी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है।
हाल ही में उन्होंने कैंपेन कमेटी के चेयरमैन और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के राजनीतिक मामलों की समिति से इस्तीफा दे दिया था। खास बात है कि G-23 समूह के सदस्य आजाद ने पार्टी से लंबे समय से नाराज चल रहे थे।
उन्हें राज्यसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी ने नजरअंदाज कर दिया था। बहरहाल, वरिष्ठ नेता की तरफ से उठाए गए इस कदम ने राजनीतिक जानकारों के हैरानी में डाल दिया है।
कांग्रेस को इस साल लगे ये झटके
आजाद से एक दिन पहले ही कांग्रेस के युवा प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उनसे पहले आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश की संचालन समिति छोड़ दी थी। हालांकि, 2022 में कांग्रेस से हार्दिक पटेल, सुनील जाखड़ समेत कई बड़े नाम राहें अलग कर चुके हैं।
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि हमने (गुलाम नबी) आजाद साहब का (इस्तीफे का) पत्र देखा। दुख की बात है कि उन्होंने ऐसे समय में कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया जब कांग्रेस देश भर में बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी, ध्रुवीकरण की लड़ाई लड़ने जा रही है।दुख की बात है कि वे इस लड़ाई में हिस्सा नहीं बन रहे।
गुलाम नबी आज़ाद के इस्तीफे पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि इंदिरा गांधी के वक्त से ये (गुलाम नबी आज़ाद) इनर कैबिनेट के मेम्बर थे। आज भी सोनिया गांधी के बहुत करीब थे। बड़ा अफसोस है मुझे कि ऐसा क्या हो गया कि इन्हें इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा।





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