बुनियादी जरूरत

बुनियादी जरूरत

भूराजनीतिक तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजार कई स्तरों पर अनिश्चितताओं से जूझ रहे हैं। मुद्रास्फीति की दर लगातार तीन तिमाहियों तक स्वीकार्य सीमा से ऊपर रहने की संभावना है। वैश्विक परिस्थितियां आने वाले महीनों में परिणामों को काफी प्रभावित करेंगी। हालांकि रिजर्व बैंक ने सही …

भूराजनीतिक तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजार कई स्तरों पर अनिश्चितताओं से जूझ रहे हैं। मुद्रास्फीति की दर लगातार तीन तिमाहियों तक स्वीकार्य सीमा से ऊपर रहने की संभावना है। वैश्विक परिस्थितियां आने वाले महीनों में परिणामों को काफी प्रभावित करेंगी। हालांकि रिजर्व बैंक ने सही कहा है कि नीति घरेलू परिस्थितियों से निर्धारित होती है लेकिन रुपये में लगातार गिरावट मुद्रास्फीति के नतीजों को प्रभावित कर सकती है।

ऐसे में पिछले सप्ताह दो महत्वपूर्ण खबरें सामने आईं। देश में गरीब लोगों के लिए मुफ्त अनाज की योजना तीन महीने बढ़ाने का फैसला लिया गया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5-जी संचार सेवा की शुरुआत की। फिलहाल यह 13 शहरों में ही उपलब्ध है। मुफ्त अनाज 2020 में कोरोना की वैश्विक महामारी के मद्देनजर सरकार ने मुहैया कराना शुरू किया था।

जब इस योजना को सितंबर, 22 तक बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री ने लिया था। उस समय वित्त विशेषज्ञों ने योजना को समाप्त करने को कहा था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि इसका अर्थव्यवस्था पर उलटा असर पड़ेगा। करीब 80 हजार करोड़ रुपए के नुकसान और बोझ का अनुमान लगाया गया था। अब फिर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि बढ़ाई गई है।

अनुमान कि इससे 45,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ देश के खजाने पर पड़ेगा। भारत पर ऋण का बोझ भी काफी है। इसके अलावा आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति का नया अनुमान है कि 2022-23 के वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.2 फीसदी के बजाय 7 फीसदी रह सकती है। यह उससे कम भी हो सकती है। मई से सितंबर के दौरान रेपो रेट चार बार बढ़ाने पड़े हैं। यह बोझ भी आम आदमी को झेलना पड़ रहा है।

चूंकि मुफ्त अनाज 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुहैया कराया जा रहा है, इससे साफ है कि इतने लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है कि वे अपने भोजन की व्यवस्था कर सकें। इन हालात में सवाल है गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त देश के लिए 5-जी बहुत जरूरी है। निश्चित रूप से देश प्रौद्योगिकी के विकास में नए आसमान छू रहा है।

5-जी के बाद इंटरनेट की गति कई गुना बढ़ जाएगी। दूर संचार में क्रांति के आयाम जुड़ेंगे लेकिन सरकारी अनाज को मोहताज तबके के लिए यह बुनियादी जरूरत नहीं हो सकती। अब तक 4-जी से काम अच्छी तरह चल रहा था। जो आदमी गरीब, भूखा और बेरोजगार है, उसे स्मार्ट मोबाइल खरीदने को बाध्य करना उचित नहीं है। साथ ही यह भी सोचना चाहिए कि क्यों आज भी करोड़ों लोगों को मुफ्त में अनाज बांटने की जरूरत है?

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