बरेली: गरीबी ऐसी कि कफन और कंधा देने वाला भी कोई नहीं, आखिरकार सुभाष नगर पुलिस ने दिया कंधा, अंतिम संस्कार भी किया

बरेली: गरीबी ऐसी कि कफन और कंधा देने वाला भी कोई नहीं, आखिरकार सुभाष नगर पुलिस ने दिया कंधा, अंतिम संस्कार भी किया

बरेली, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश के बरेली पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया है। सुभाष नगर पुलिस ने एक ऐसे मृत व्यक्ति को कंधा दिया जिसके घर में उसे कोई कंधा देने वाला नहीं था। इतना ही नहीं, परिवार में गरीबी का वो मंजर था कि मां और पत्नी के पास इतने पैसे भी नहीं …

बरेली, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश के बरेली पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया है। सुभाष नगर पुलिस ने एक ऐसे मृत व्यक्ति को कंधा दिया जिसके घर में उसे कोई कंधा देने वाला नहीं था। इतना ही नहीं, परिवार में गरीबी का वो मंजर था कि मां और पत्नी के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि अपने बेटे और पति का अंतिम संस्कार भी कर सके।

परिवार की हालत देखकर सुभाषनगर पुलिस ने न सिर्फ मृतक के अंतिम संस्कार का खर्चा उठाया बल्कि उसे कंधा भी दिया। उधर, मृतक की मां ने स्टेशन रोड स्थिति एक दुकानदार पर पिटाई करने की वजह से मौत होने का अरोप लगाया है। जिसमें पुलिस ने एससी/एसटी में मुकदमा भी दर्ज कर लिया है।

क्या है पूरा मामला
दरअसल, बीते 18 नंवबर को सुभाष नगर के तिलक कॉलोनी में रहने वाले नरेश कश्यप अपनी मां पार्वती से कुछ पैसे मांगने के लिए स्टेशन रोड स्थिति एक होटल में गया था। उसकी मां उसी होटल में काम करती है। आरोप है कि नरेश अपनी मां का इंतजार करते हुए गुप्ता पनीर वाले की दुकान के चबूतरे पर बैठ गया।

जिसके बाद उसके मालिक संजय और उसके भाई ने नरेश को जातिसूचक शब्दों के साथ गाली-गलौच की और उसके साथ मारपीट की। जिसके बाद नरेश की हालत में सुधार नहीं हुआ और 26 नवंबर को उसकी मौत हो गई। नरेश के परिवार उसकी विधवा मां, पत्नी और दो छोटे बेटे है।

परिवार को दो वक्त की रोटी का गुजारा करना मुश्किल
मृतक नरेश के परिवार में गरीबी का वो मंजर है कि उसके परिवार को दो वक्त की रोटी का गुजारा करने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में नरेश की मौत के बाद परिवार बुरी तरह से टूट गया।

मां के पास बेटे को कफन लाने के लिए भी पैसे नहीं थे। ऐसे में सुभाष नगर पुलिस ने नरेश के अंतिम संस्कार का पूरा खर्चा उठाया। साथ ही उसे कंधा देकर शमशान घाट भी पहुंचाया। जिसके बाद मोहल्ले को लोग भी सुभाष नगर पुलिस की तारीफ कर रहे है।

वर्जन –
‘पीड़ित परिवार के पास न तो अंतिम संस्कार के लिए पैसे थे, न ही उसके परिवार में कोई उसे कंधा देने वाला था। मृतक के दो छोटे बेटे थे जो कंधा नहीं दे सकते है। इसलिए हमने मोहल्ले वालों की मदद से मृतक को कंधा देकर शमशान घाट पहुंचाया और अंतिम संस्कार भी खर्चा उठाया।’
– नरेश कुमार कश्यप, इंस्पेक्टर सुभाष नगर

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