बरेली: बिचपुरी में बीडीए की करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जे

बरेली: बिचपुरी में बीडीए की करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जे

बरेली, अमृत विचार। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) की रामगंगानगर आवासीय परियोजना के पास बिचपुरी गांव में बीडीए की कई करोड़ की जमीन पर अवैध कब्जों का खुलासा हुआ है। बीडीए ने गूगल अर्थ ऐप से जब सर्वे कराया तो हकीकत सामने आई। बताते हैं कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच इस जमीन पर तेजी …

बरेली, अमृत विचार। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) की रामगंगानगर आवासीय परियोजना के पास बिचपुरी गांव में बीडीए की कई करोड़ की जमीन पर अवैध कब्जों का खुलासा हुआ है। बीडीए ने गूगल अर्थ ऐप से जब सर्वे कराया तो हकीकत सामने आई। बताते हैं कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच इस जमीन पर तेजी से अवैध कब्जे हुए लेकिन अधिकारियों ने इन्हें रोकने के प्रयास नहीं किए। ऐसे में बीडीए के तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। अब सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद उन्हें हटाने की तैयारी की जा रही है।

बीडीए ने वर्ष 2004 में रामगंगानगर आवासीय योजना के तहत डोहरा रोड पर जमीन अधिग्रहित की थी। प्राधिकरण ने वहां धीरे-धीरे आवास, सड़कों का निर्माण कराना शुरू कर दिया। बहुत से ऐसे किसान भी थे, जिन्होंने मुआवजा लेकर जमीन पर खेती करनी नहीं छोड़ी। मामला धीरे-धीरे टलता रहा। अचानक जमीन पर कब्जे होने लगे। प्राधिकरण ने जब इन कब्जेदारों को हटाना शुरू किया तो उन्होंने यह कहकर कब्जा नहीं हटाया कि वे पुश्तैनी जमीन पर बसे हैं। इसके बाद प्राधिकरण ने गूगल अर्थ ऐप के जरिये 2004 से 2019 तक का सर्वे कराया। इसमें जो वीडियो फुटेज सामने आए वो चौंकाने वाले हैं। बिचपुरी गांव में 2011 तक खाली जमीन थी, लेकिन अचानक 2012 से 2017 तक तेजी से जमीन पर कब्जा होना शुरू हो गया।

रामगंगानगर के विकास कार्यों का कॉलोनाइजरों ने भी किया दुरुपयोग
रामगंगानगर में बीडीए ने विकास कार्य में काफी पहले करोड़ों रुपये खर्च किए थे लेकिन यहां भूखंडों के आवंटी न मिलने के बाद बीडीए के अधिकारियों ने वर्षों तक अपनी इस परियोजना की ओर मुड़कर तक नहीं देखा। रामगंगानगर के आसपास कई कॉलोनाइजरों ने कॉलोनियां विकसित करने के साथ ही कॉलोनी के सीवर, बिजली और रास्ते रामगंगानगर में कराए गए विकास कार्यों से जोड़कर धांधलेबाजी की। कुछ दिन पहले बीडीए ने रामगंगानगर के पास ऐसी ही एक कॉलोनी के मामले में कार्रवाई कर उसका रास्ता बंद कर दिया था।

इस बारे में बीडीए उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह का कहना है कि गूगल अर्थ एप के जरिए बिचपुरी गांव और आसपास की जमीन पर हो रहे कब्जे का सर्वे कराया गया। 2012 के बाद बिचपुरी में तेजी से प्राधिकरण की जमीन पर कब्जे हुए हैं। 2011 तक जमीन खाली थी। इसे लेकर अब कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।