बाराबंकी: क्लब फुट कैंप में जन्मजात टेढ़े-मेढ़े पैर वाले बच्चों का नि:शुल्क इलाज

बाराबंकी: क्लब फुट कैंप में जन्मजात टेढ़े-मेढ़े पैर वाले बच्चों का नि:शुल्क इलाज

बाराबंकी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत क्लब फुट कैंप (टेढ़े-मेढ़े पैर) से ग्रसित छोटे बच्चों के उपचार के लिए सीएमओ कार्यलय के आरसीएच हाल में नि:शुल्क क्लब फुट कैंप का आयोजन किया गया। इस दौरान जन्मजात मुड़े हुए पैरों की समस्या से ग्रसित 18 बच्चों का इलाज एवं 25 बच्चों का रजिस्ट्रेशन किया गया। …

बाराबंकी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत क्लब फुट कैंप (टेढ़े-मेढ़े पैर) से ग्रसित छोटे बच्चों के उपचार के लिए सीएमओ कार्यलय के आरसीएच हाल में नि:शुल्क क्लब फुट कैंप का आयोजन किया गया। इस दौरान जन्मजात मुड़े हुए पैरों की समस्या से ग्रसित 18 बच्चों का इलाज एवं 25 बच्चों का रजिस्ट्रेशन किया गया। आरबीएसके के अन्तर्गत क्लब फुट कैंप क्लीनिक मिरेकल फीट इंडिया के सहयोग से कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर अवधेश सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल के क्लब फुट क्लीनिक के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अफसर खान की देख-रेख में 12 बच्चों का प्लास्टर व छह बच्चों का विशेष प्रकार का जूते दिये गये। साथ ही 25 बच्चों का पंजीकरण किया गया। सर्जन द्वारा ऑपरेशन कर व छह अन्य बच्चों का इलाज किया गया। जिले में इस योजना के तहत वर्तमान में 41 बच्चे नि:शुल्क चिकित्सा का लाभ ले रहे हैं।

मालूम हो कि प्रत्येक शुक्रवार को जिला अस्पताल के क्लब फुट क्लीनिक मे टेढ़े-मेढ़े पैर वाले बच्चों की सर्जरी निशुल्क होती है। साथ ही सभी को क्लब फुट के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए जागरूक भी किया गया। उन्होंने बताया कि इस बार मिरेकल फीट इंडिया के कार्यक्रम समन्वयक अमित पाण्डेय के नेतृत्व में कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। सर्जन डॉ. खान ने सर्जरी के बारे में बताया कि जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों को निगरानी में रखते। तथा नवजात क्लब फुट वाले बच्चों को प्लास्टर 3 सप्ताह रखते है ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राम जी वर्मा ने बताया कि क्लब फुट बीमारी में बच्चों के पैर जन्मजात टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। सही समय पर इसका इलाज न हो तो बच्चा जीवन भर के लिए दिव्यांग हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी के सही कारण का पता अब तक नहीं चल सका है। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में क्लब फूट से ग्रसित बच्चों के उपचार के लिए अभिभावकों का संवेदीकरण कर परामर्श दिया जायेगा। क्लब फूट या टेढ़े-मेढ़े पैर का उपचार संभव है और उपचार के बाद बच्चा पूरी तरह ठीक होकर अपने पैरों पर चलने में सक्षम हो जाता है।

एसीएमओ एवं नोडल अधिकारी डा.डीके श्रीवास्तव ने बताया कि जन्म के समय स्क्रीनिंग के दौरान पता चलने पर इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू हो जाए, ठीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। मुख्यत: जन्म से दो वर्ष तक के बच्चों का इलाज प्लास्टर द्वारा तथा विशेष तरह के जूतों को पहनाकर किया जा सकता है, जो पूर्णतया नि:शुल्क है। उन्होंने बताया गर्भावस्था के समय अगर सही तरीके से अल्ट्रासाउंड किया जाये तो गर्भस्थ शिशु में ही इस लक्षण का पता चल जाता है।

गांवों में बच्चे के पैदा होने के साथ ही इस बात का पता चल जाता है, लेकिन उस समय उसके माता-पिता इस विकृति को स्वीकार नहीं कर पाते हैं, अंधविश्वास के चलते काला धागा बांध देते हैं। अगर जन्म के साथ ही इलाज शुरू कर दिया जाता है तो उसके लाभ समय से दिखने लगते हैं। इस कार्यक्रम के तहत आठ बच्चों को मुफ्त इलाज का लाभ मिला है।

जिला पुरूष अस्पताल के सीएमएस डॉ. बृजेश कुमार सिंह कहना है कि विगत 6 महीने से क्लब फुट सर्जरी और प्लास्टर दोनों ही कार्य अब हमारे बाराबंकी के जिला अस्पताल में ही होने लगे हैं। इन बच्चों के अभिभावकों को काफी सहूलियत प्राप्त हुई है। जिला अस्पताल में ऐसे बच्चों की सर्जरी प्रत्येक शुक्रवार का दिन प्लान किया गया है। इससे शुक्रवार के दिन ही ऐसे सभी बच्चों संदर्भित किया जाता है।

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