अयोध्या: गन्ना की फसलों में लग रहा रेड रॉट रोग, फसल बचाने की जद्दोजहद कर रहे किसान

अयोध्या। बारिश न होने का दंश झेल रहे धान के किसानों के बाद अब गन्ना किसान अब रेड रॉट बीमारी से परेशान हैं। जिसके कारण गन्ने का पूरा का पूरा खेत बर्बाद होने की कगार पर है। इस रोग से गन्ना फसलों को बचाने में किसान जद्दोजहद में जुट गए हैं। बीकापुर तहसील क्षेत्र के …
अयोध्या। बारिश न होने का दंश झेल रहे धान के किसानों के बाद अब गन्ना किसान अब रेड रॉट बीमारी से परेशान हैं। जिसके कारण गन्ने का पूरा का पूरा खेत बर्बाद होने की कगार पर है। इस रोग से गन्ना फसलों को बचाने में किसान जद्दोजहद में जुट गए हैं।
बीकापुर तहसील क्षेत्र के रामनगर गांव के रहने वाले गन्ना किसान राजेश यादव का कहना है कि हमने 3 एकड़ में गन्ने की बुवाई की थी। लेकिन उनकी गन्ने की फसल रेड रॉट रोग नामक बीमारी ने चपेट में आ गई।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी के छुटकारा पाने के लिए महंगी कीटनाशक दवाओं का भी छिड़काव किया गया लेकिन समस्या से निजात नहीं मिल सकी। वहीं नुवावा वैदरा गाँव के बृजेश बताते हैं, हमारे 1 एकड़ गन्ने में रेड रॉट की समस्या है, जिसके चलते खेत मे गन्ना सड़ कर सूखता चला जा रहा है, करीब 20 हजार रुपए लागत लगा चुके हैं।
सूखने लगती है फसल, कम हो जाती है मिठास
गन्ने की किस्म कोशा 0238 में रेड रॉट की समस्या को देखा जा रहा है, इस बीमारी से गन्ने की फसल सूखने लगती है और मिठास खत्म हो जाती है। इसलिए इस तरह के रोगग्रस्त गन्ने से चीनी का उत्पादन भी कम होता है। इस रोग के चपेट में आकर बीकापुर तहसील क्षेत्र के 20% किसानो की गन्ने की फसल 80 फीसद सूख गई है।
बीज और भूमि जनित रोग है रेड रॉट
गन्ना विभाग के मुताबिक गन्ने में लगने वाला यह एक बीज और भूमि जनित रोग है। गन्ने की फसल में यह रोग जुलाई से लगना शुरू होता है ओर फसल के अंत तक रहता है।गन्ना बुवाई के समय ट्राइकोडर्मा चार किलो प्रति एकड़ की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर गन्ने की लाइनों में डालकर मिट्टी में मिला दें। गन्ना बुवाई के समय बीज चयन पर विशेष ध्यान देन की जरूरत है।
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