अयोध्या: यहां तो हाशिए पर पड़े है राम मंदिर आंदोलन के बजरंगी!

अयोध्या: यहां तो हाशिए पर पड़े है राम मंदिर आंदोलन के बजरंगी!

अयोध्या। सत्ता की राजनीति के नजरिए से देखा जाए तो अयोध्या भाजपा की नाभि नाल है और राम मंदिर आंदोलन उसका ऊर्जा पुंज। यही नहीं, राम मंदिर आंदोलन की कभी कोई कहानी लिखी जाए तो विनय कटियार के बिना शुरू भी नहीं हो सकती। तीन बार लोकसभा व दो बार राज्यसभा के सांसद व भाजपा …

अयोध्या। सत्ता की राजनीति के नजरिए से देखा जाए तो अयोध्या भाजपा की नाभि नाल है और राम मंदिर आंदोलन उसका ऊर्जा पुंज। यही नहीं, राम मंदिर आंदोलन की कभी कोई कहानी लिखी जाए तो विनय कटियार के बिना शुरू भी नहीं हो सकती। तीन बार लोकसभा व दो बार राज्यसभा के सांसद व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके विनय कटियार आज हाशिए पर हैं। वर्ष 89-90 के दौर में राम मंदिर आंदोलन जब उफान पर चढ़ा तो विनय कटियार को मंदिर आंदोलन का बजरंगी कहा जाता था और कटियार ही मन्दिर आंदोलन के सबसे फायर ब्रांड वक्ता के तौर पर अगुआ रहे।

अयोध्या में हिंदू धाम विनय कटियार का अपना निजी आवास है। इधर वह यहीं पर रह रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है तो विनय कटियार की पार्टी स्तर से कहीं कोई भूमिका अब तक तय नहीं की गई है। मूलत: कानपुर के निवासी विनय कटियार का जन्म 1954 में हुआ। कुर्मी समुदाय से आने वाले विनय कटियार ने कानपुर यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में बीए की डिग्री ली। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की। 1970 से 74 तक वह विद्यार्थी परिषद के उत्तर प्रदेश इकाई के संगठन सचिव रहे। 1974 में जय प्रकाश नारायण के बिहार आंदोलन में उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और 1980 में आरएसएस के प्रचारक बन गए। 1982 में कटियार ने हिंदू जागरण मंच की स्थापना की। 1984 में राम जन्मभूमि आंदोलन जब गति पकड़ने को हुआ तो बजरंग दल की स्थापना की गई कटियार ही उसके अध्यक्ष बनाये गए।

विनय कटियार पहली बार 1991 में फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। वह इस सीट से 1996 और 1999 में भी सांसद रहे। खास बात यह है कि विनय कटियार के सांसद रहते 1991 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो यहां जिले में विनय कटियार ही भाजपा के सबसे बड़े चेहरे थे। 1991 के विधानसभा चुनाव में पहला मौका था जब भाजपा ने जिले की पांचों सीटों पर कब्जा जमा लिया था। अयोध्या सीट से लल्लू सिंह, सोहावल से रामू प्रियदर्शी, मिल्कीपुर से मथुरा प्रसाद तिवारी, रूदौली से आचार्य रामदेव वैश्य व बीकापुर से संत श्रीराम द्विवेदी भाजपा के विधायक चुन लिए गए थे। उसके बाद 2017 तक कभी ऐसी स्थिति नहीं बन पाई।

जहां तक विनय कटियार की बात है तो वह 2002 से 2004 के दौरान उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2006 में उन्हें बीजेपी का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया। कायदे से देखा जाए तो अयोध्या मंडल में आज भी भाजपा के पास विनय कटियार जैसा भारी-भरकम चेहरा पिछड़े वर्ग में कोई दूसरा नहीं है। फिर भी विनय कटियार को हाशिए पर ठेल दिया गया है। और तो और राम मंदिर के लिए अगस्त 2020 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन के लिए आए तो भी विनय कटियार को बहुत महत्व नहीं दिया गया था। यहां तक कि कोरोना के चलते भूमि पूजन समारोह में जिन सीमित लोगों के शामिल होने वालों का नाम रखा गया था उस लिस्ट से भी विनय कटियार का नाम नदारद था। यह जब खबर की सुर्खियां बनी तो बाद में कटियार को निमंत्रण भेजा गया था। हालांकि वह आए नहीं थे।

विधानसभा के मौजूदा चुनाव में भाजपा एक तरफ जहां राम मंदिर मुद्दे को गर्म कर रही है और तमाम उम्मीद के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पार्टी ने अयोध्या सीट के बजाय गोरखपुर सदर सीट से मैदान में उतार दिया तो अब अयोध्या वीआईपी सीट के तौर पर पार्टी लड़ेगी या नहीं? योगी नहीं तो अब अयोध्या सीट से भाजपा का कौन उम्मीदवार लड़ेगा.? यह सवाल सबके जेहन में कौंध रहा है। ऐसे में राम मंदिर आंदोलन के कभी बजरंगी रहे विनय कटियार पर एक बार फिर सबकी नजरें नाच रही हैं।

यह भी पढ़ें:-यूपी चुनाव 2022 : भाजपा के इस पोस्टर भड़के स्वामी प्रसाद, कहा- 2022 में विदाई तय है