बरेली: भाजपा के लिए झटका... पूरा जोर लगाने के बाद भी घटा महिलाओं का मतदान प्रतिशत

बरेली में 1.74 और आंवला में 2.14 प्रतिशत कम मतदान कर चुनाव विश्लेषण के लिए तैयार किया नया आधार

बरेली: भाजपा के लिए झटका... पूरा जोर लगाने के बाद भी घटा महिलाओं का मतदान प्रतिशत

बरेली, अमृत विचार। यह कहना मुश्किल है कि चुनाव परिणामों पर इसका कोई असर पड़ेगा या नहीं, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में जिले के बरेली और आंवला दोनों संसदीय क्षेत्रों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पिछले दो चुनाव कम रहना भाजपा के लिए फिलहाल झटका ही माना जा रहा है। बरेली में महिलाओं ने इस बार 2019 के चुनाव की तुलना में 1.74 प्रतिशत और आंवला में 2.14 प्रतिशत कम मतदान किया है और एक तरफ महंगाई, बेरोजगारी और दूसरी तरफ राम मंदिर और महिला सुरक्षा जैसे तमाम मुद्दों पर खींचतान के बीच इस चुनाव के विश्लेषण के लिए एक नया आधार तैयार कर दिया है।

कई भावनात्मक मुद्दों के साथ चुनाव मैदान में उतरी भाजपा को महिला मतदाताओं से इस बार काफी उम्मीद थी लेकिन इसके बावजूद उनके मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय गिरावट आई है। बरेली संसदीय क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या इस चुनाव में आठ लाख 95 हजार 247 थी, इनमें से पांच लाख पांच हजार 363 महिलाओं ने ही मतदान किया। कुल मिलाकर उनका मतदान प्रतिशत 56.45 रहा। लोकसभा चुनाव 2019 में चार लाख 75 हजार 904 महिला मतदाताओं ने मतदान किया था जो उनकी संख्या के हिसाब से 58.19 प्रतिशत था। उनके मतदान में यह गिरावट 1.74 प्रतिशत है। लोकसभा चुनाव 2014 में महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 58.73 था। यह आंकड़ा बताता है कि महिलाओं का मतदान प्रतिशत 2019 के चुनाव में भी आंशिक रूप से कम हुआ था।

आंवला संसदीय क्षेत्र में महिलाओं के मतदान प्रतिशत में और ज्यादा 2.14 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस चुनाव में इस क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या आठ लाख 64 हजार 744 थी लेकिन मतदान किया सिर्फ चार लाख 89 हजार 578 महिलाओं ने ही, जो उनकी कुल संख्या का 55.97 प्रतिशत है। लोकसभा चुनाव 2019 में 58.11 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। लोकसभा चुनाव 2014 में उनके मतदान का आंकड़ा 57.40 प्रतिशत था।

दोनों संसदीय क्षेत्रों में पुरुषों से करीब तीन प्रतिशत
बरेली और आंवला दोनों संसदीय क्षेत्रों में महिलाओं का मतदान पुरुषों से करीब तीन प्रतिशत कम रहा। बरेली में 10 लाख 29 हजार 111 पुरुष मतदाताओं में से छह लाख 11 हजार 371 ने मताधिकार का प्रयोग किया। उनका मत प्रतिशत 59.41 रहा जो महिलाओं के मतदान प्रतिशत 56.45 से 2.96 ज्यादा है। इसी तरह आंवला में 10 लाख 16 हजार 922 पुरुष मतदाताओं में से पांच लाख 97 हजार 100 यानी 58.72 प्रतिशत पुरुषों ने ही मतदान किया जो महिलाओं के मतदान प्रतिशत 55.97 से 2.75 प्रतिशत ज्यादा है। बरेली में थर्ड जेंडर का मतदान प्रतिशत 19.74 और आंवला में 19.15 था।

प्रशासन ने जोर लगाया तो चुनाव से पहले बढ़े महिला मतदाताओं के रिकॉर्ड वोट
चुनाव से पहले महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए प्रशासन ने भी पूरा जोर लगाया था। इसका नतीजा यह रहा कि पहली बार निर्वाचक नामावली में शामिल हुई महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से भी ज्यादा निकल गई। पुनरीक्षण अभियान में कुल मिलाकर 78 हजार 521 महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट में जुड़े तो पुरुषों की संख्या सिर्फ 58 हजार 62 ही रह गई जो महिलाओं की तुलना में करीब 30 फीसदी कम थी। अब सवाल उठ रहा है कि महिलाओं ने वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल कराने में इतनी दिलचस्पी दिखाई तो वोट डालने में क्यों नहीं दिखाई।

भाजपा को थी बड़ी उम्मीद, चुनाव से पहले नारी शक्ति वंदन में झोंकी थी ताकत
मध्य प्रदेश में लाडली बहन योजना की चुनावी घोषणा ने जो पासा पलटा, उसे देखते हुए भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले महिला मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कई योजनाएं बनाई थीं। चुनाव की घोषणा से कई महीने पहले ही महिला मतदाताओं को भाजपा से जोड़ने के लिए नारी शक्ति वंदन कार्यक्रम शुरू कर दिए थे। इन कार्यक्रमों में पार्टी के बड़े नेताओं को भी हिस्सा लेने का निर्देश था। कार्यक्रमों में महिलाओं के बीच नारी सुरक्षा, अपराधों पर पार्टी की सरकारों के कड़े रुख और महिला कल्याण के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं का जिक्र किया गया था लेकिन चुनाव में महिलाओं का गिरा मत प्रतिशत अब बता रहा है कि पार्टी के इस दांव ने ज्यादा काम नहीं किया। भाजपा ने इसके अलावा विकसित भारत संकल्प यात्रा और लाभार्थी संपर्क अभियान भी चलाया था। इन दोनों अभियानों में भी महिला मतदाताओं पर जोर दिया गया था।

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