बरेली: वाह रे सिस्टम! यहां तो इज्जतघर को ‘बेइज्जत’ कर रहे अधिकारी

बरेली, अमृत विचार। सरकारी मशीनरी ने शौचालय निर्माण में गोलमाल करके जहां स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं अफसर भी इज्जतघर को बेइज्ज्त करने से नहीं चूक रहे हैं। जबकि कुछ ग्राम पंचायतें ऐसी भी हैं, जहां के तत्कालीन प्रधानों ने गांव का विकास कराने में बाखूबी जिम्मेदारी निभाई। …
बरेली, अमृत विचार। सरकारी मशीनरी ने शौचालय निर्माण में गोलमाल करके जहां स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं अफसर भी इज्जतघर को बेइज्ज्त करने से नहीं चूक रहे हैं। जबकि कुछ ग्राम पंचायतें ऐसी भी हैं, जहां के तत्कालीन प्रधानों ने गांव का विकास कराने में बाखूबी जिम्मेदारी निभाई। शौचालय इस तरह से बनाए कि गांव के लोग सराहना कर रहे हैं।
जिले की बात करें तो ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त का तमगा मिल चुका है। मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अधिकांश ग्राम पंचायतों में शौचालय या तो अधूरे पड़े हैं या फिर बने हैं तो उपले और कूड़ा करकट रखने के काम आ रहे हैं। शहर से सटे बिथरी चैनुपर ब्लाक की रजपुरा माफी ग्राम पंचायत की बात करें तो तमाम शौचालय अधूरे छोड़ दिए गए हैं।
इसी तरह नवाबगंज के जिगनियां भगवंत पुर का हाल है। कई घरों में शौचालय नहीं हैं। इधर अफसरों का दावा है जिले की समस्त 1193 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। हर घर में शौचालय बने हैं। कुछेक परिवार जो बचे हैं, उनका सर्वे चल रहा है मगर हकीकत उलट है।
बिथरी चैनपुर ब्लाक की पंचायतें बढ़ा रहीं शाम
दूसरी तरफ ब्लाक बिथरी चैनपुर की फरीदापुर इनायत खां, पुरनापुर, मोहनपुर समेत कुछ ग्राम पंचायतों की बात करें तो यहां अधिकतर शौचालय गांव की शान बढ़ा रहे हैं। गांव पहुंचने वाला हर व्यक्ति इसकी तारीफ करने से नहीं चूकता। स्वच्छता का संदेश देने के लिए इन शौचालयों की दीवारों पर लिखे स्लोगन भी आर्कषण का केंद्र बने हैं। इन गांवों में शौचालय के अलावा सरकारी स्कूलों का कायाकल्प भी कराया गया है।
पहले होगा शौचालय और पंचायत घर का निर्माण
पंचायती राज ग्राम विकास के अपर मुख्य सचिव ने पिछले दिनों वीडियो कांफ्रेंसिंग कर सामुदायिक शौचालयों व पंचायत घरों का प्रमुखता से निर्माण कराने के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि ग्राम पंचायत में पंचायत घर व सामुदायिक शौचालय प्रमुखता के आधार पर बनवाए जाए। निर्माण के बाद ही ग्राम पंचायत में अन्य विकास कार्य किए जाएंगे लेकिन इस पर भी अफसरों ने ध्यान दिया। तमाम जगह सामुदायिक शौचालय बना दिए गए, उनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई लेकिन वहां महीनों से ताला लटका है।
डीपीआरओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि जिले को काफी समय पहले ही ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। कुछेक छूटे पात्रों को शौचालय दिलाने के लिए सर्वे चल रहा है। जहां शौचालय बनने के बाद उपयोग भी नहीं किए जा रहे हैं, वहां कारणों का पता लगाया जाएगा।