बरेली: क्यूआर कोड स्कैन किए बिना भी मिल सकेगी किसानों को खाद

बरेली, अमृत विचार। कृषि विभाग ने खाद विक्रेताओं को क्यूआर कोड (क्विक रिस्पांस कोड) लगवाने के लिए निर्देश जारी किए थे, ताकि दुकानदार के खाते में किसान सीधे रुपये ट्रांसफर कर सकें। अब तक 325 खाद विक्रेताओं ने क्यूआर कोड लगवा लिया है। वहीं, कोरोना के चलते अब बिना क्यूआर कोड के भी दुकानदार खाद …
बरेली, अमृत विचार। कृषि विभाग ने खाद विक्रेताओं को क्यूआर कोड (क्विक रिस्पांस कोड) लगवाने के लिए निर्देश जारी किए थे, ताकि दुकानदार के खाते में किसान सीधे रुपये ट्रांसफर कर सकें। अब तक 325 खाद विक्रेताओं ने क्यूआर कोड लगवा लिया है। वहीं, कोरोना के चलते अब बिना क्यूआर कोड के भी दुकानदार खाद वितरण कर सकेंगे। इससे किसानों को काफी हद तक राहत मिलेगी।
बीते साल खरीफ सीजन में अफसर सख्ती के दावे के बावजूद यूरिया की कालाबाजारी होती रही। शासन स्तर पर मामला पकड़े जाने पर किसानों के साथ कई सहकारी समितियों के सचिवों पर कार्रवाई की गई। वहीं, सरकार ने इस सीजन में कालाबाजारी रोकने को दुकानों पर क्यूआर कोड स्कैन होने के बाद खाद वितरण के आदेश दिए थे। इसके पीछे सरकार का मकसद यह भी था कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा।
जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि जिले में सहकारी समितियों को मिलाकर करीब 800 खाद की दुकानें हैं जिनमें करीब 325 दुकानदारों ने क्यूआर कोड लगवा लिया है। यहां क्यूआर कोड के माध्यम से किसान सीधे दुकानदार के बैंक खाते में रुपये ट्रांसफर कर रहे हैं मगर तमाम किसान ऐसे भी हैं जिनके पास एंड्रायड फोन नहीं था। तमाम दुकानों पर क्यूआर कोड भी नहीं लग सका था। जिसके चलते कोरोना काल में क्यूआर कोड की अनिवार्यता को सीमित समय के लिए समाप्त कर दिया गया है।