बरेली: विसर्जन के इंतजार में 2000 अस्थियां, कोरोना के खौफ से नहीं आ रहे अपने

बरेली: विसर्जन के इंतजार में 2000 अस्थियां, कोरोना के खौफ से नहीं आ रहे अपने

बरेली,अमृत विचार। कोरोना संक्रमण के बाद हालात इतने भयावह हो गए हैं कि लोग अपनों की अस्थियां तक उठाने के लिए नहीं आ रहे हैं। मजबूरी में श्मशान घाट वालों को अस्थियां या तो खुद गंगा में विसर्जित करने या फिर मृतक के घर भिजवाने का फैसला लेना पड़ रहा है। शहर के तीनों श्मशान …

बरेली,अमृत विचार। कोरोना संक्रमण के बाद हालात इतने भयावह हो गए हैं कि लोग अपनों की अस्थियां तक उठाने के लिए नहीं आ रहे हैं। मजबूरी में श्मशान घाट वालों को अस्थियां या तो खुद गंगा में विसर्जित करने या फिर मृतक के घर भिजवाने का फैसला लेना पड़ रहा है।

शहर के तीनों श्मशान घाटों में इन दिनों करीब 1500 से 2000 के लोगों की अस्थियां विसर्जन का इंतजार कर रही हैं लेकिन अभी तक कोई उन्हें विसर्जित करने नहीं आ रहा। इसमें कुछ अस्थियां पिछले वर्ष की भी हैं।

हिंदू पंरपरा के अनुसार मरने के बाद तभी मोक्ष की प्राप्ति होती है, जब उसकी अस्थियां गंगा या किसी पवित्र नदी में विसर्जित की जाएं। लेकिन, कोरोना काल में ऐसा दृश्य देखना पड़ेगा, शायद कभी किसी ने ऐसा ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा। श्मशान घाट ट्रस्ट के पदाधिकारियों की मानें तो लोग शवों का अंतिम संस्कार करने के बाद अस्थियां लेने के लिए नहीं आ रहे हैं। अब आलम यह है कि अस्थियां रखने तक की जगह नहीं बची है। अस्थियों को बोरों में भरकर रखना पड़ रहा है। जिससे अन्य लोगों की अस्थियों को रखने की जगह मिल सके।

संजय नगर श्मशान भूमि ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि उनके यहां वर्ष 2020 और 2021 दोनों वर्ष की अस्थियों को मिलाकर संख्या एक हजार से पार हो चुकी है। जिसमें से करीब 700-800 अस्थियां 2021 की और करीब 400 लोगों की अस्थियां पिछले वर्ष की हैं। उन्होंने कहा कि वह कुछ दिनों तक और देखेंगे। इसके बाद अस्थियों को हरिद्वार में विजर्सित करना शुरू कर देंगे।

वहीं, सिटी श्मशान भूमि की अगर बात करें तो यहां पर भी करीब 150 से 200 लोगों की अस्थियां अभी विजर्सन के लिए इंतजार कर रही हैं। ठीक इसी तरह से गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि में भी करीब 70-80 लोगों की अस्थियां इस वर्ष विसर्जित नहीं की गई हैं।